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शिक्षक भर्ती मामला : सुबीरेश के घर आयोग्य शिक्षकों से होता था मोलभाव, लिये जाते थे पैसे

सीबीआई ने अदालत में कहा कि एक तरफ गिरफ्तार पार्थ चटर्जी के घर पर ऑफिस खोलकर अयोग्य शिक्षकों की सूची बनायी जाती थी, तो दूसरी तरफ इस भ्रष्टाचार में शामिल सुबीरेश भट्टाचार्य के घर पर इसकी एक शाखा कार्यालय खोली गयी थी.

कोलकाता, विकास कुमार गुप्ता : शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रही सीबीआई की टीम ने अलीपुर अदालत में अयोग्य शिक्षकों को नौकरी मिलने के मामले को लेकर अदालत में कई खुलासे किये. अदालत सूत्रों के मुताबिक सीबीआई ने अदालत में कहा कि एक तरफ गिरफ्तार पार्थ चटर्जी के घर पर ऑफिस खोलकर अयोग्य शिक्षकों की सूची बनायी जाती थी, तो दूसरी तरफ इस भ्रष्टाचार में शामिल सुबीरेश भट्टाचार्य के घर पर इसकी एक शाखा कार्यालय खोली गयी थी. इस दफ्तर में आर्थिक लेनदेन के बाद नौकरी बांटने के पहले अयोग्य आवेदकों की ओएमआर शीट में हेराफेरी प्रक्रिया को ठीक करने के लिए कई बैठकें हुई थीं.

घर में ऑफिस खोलकर साजिश का खाका किया जाता था तैयार

बैठक में ओएमआर शीट परीक्षा के प्रभारी संगठन के उपाध्यक्ष नीलाद्रि दास ने भाग लिया था. सीबीआई का दावा है कि भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार एसएससी के पूर्व चेयरमैन सुबीरेश भट्टाचार्य के घर पर नौकरियां बेचने की साजिश रची गयी थी. उनके घर में ऑफिस खोलकर साजिश का खाका तैयार किया जाता था. बैठक में सुबीरेश के अलावा नीलाद्रि दास और एसएससी प्रोग्रामिंग अधिकारी भी मौजूद थे. अदालत आगामी सप्ताह इस मामले में अहम राय दे सकती है.

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पार्थ के घर पर बनती थी नौकरी के लिए अयोग्य शिक्षकों की सूची 

सीबीआई ने अदालत में कहा कि पार्थ इतने प्रभावशाली हैं कि शिक्षक भर्ती घोटाले में किन अयोग्य को नौकरी देनी है, इसकी सूची पार्थ चटर्जी के घर के नीचे दफ्तर में तैयार की जाती थी. सूची को अंतिम मंजूरी पार्थ ही देते थे. यह सनसनीखेज दावा सीबीआई ने किया. सीबीआई ने दावा किया कि पार्थ ने स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार करने के लिए शिक्षा विभाग के विभिन्न पदों पर अपनी पसंद के लोगों को नियुक्त करते थे. पार्थ ने नाकतला स्थित अपने घर के ग्राउंड फ्लोर पर एक कार्यालय बनाया था.

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प्रसन्न रॉय जैसे जॉब एजेंट कार्यालय में आते थे अक्सर

प्रसन्न रॉय जैसे जॉब एजेंट उस कार्यालय में अक्सर आते थे. उस कार्यालय में बैठकर प्रसन्न राय अयोग्य आवेदकों की सूची बनाते थे. पार्थ ही इस सूची को अंतिम मंजूरी देते थे. इसके बाद यह सूची एसएससी के पूर्व अध्यक्ष सुबीरेश भट्टाचार्य के पास पहुंचती थी. सीबीआई ने अदालत में यह भी दावा किया कि पार्थ ने भ्रष्टाचार करने के लिए ही सुबीरेश को कानून का उल्लंघन करते हुए एसएससी के अध्यक्ष के पद पर बैठाया था. अदालत ने 19 अगस्त को फिर से पार्थ को अलीपुर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया.

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