शिक्षक भर्ती घोटाले में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत अन्य आरोपियों को अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया था. अदालत सूत्रों के मुताबिक इस दिन अदालत में पार्थ की तरफ से शारीरिक अस्वस्थता का कारण बताकर जमानत याचिका की मांग की गयी. सीबीआई ने इसका कड़ा विरोध किया. सीबीआई ने अदालत में कहा कि पार्थ इतने प्रभावशाली हैं कि शिक्षक भर्ती घोटाले में किन अयोग्य को नौकरी देनी है, इसकी सूची पार्थ चटर्जी के घर के नीचे दफ्तर में तैयार की जाती थी. सूची को अंतिम मंजूरी पार्थ ही देते थे. यह सनसनीखेज दावा सीबीआई ने अलीपुर कोर्ट में किया.
सीबीआई ने दावा दिया कि पार्थ ने स्वतंत्र रूप से भ्रष्टाचार करने के लिए शिक्षा विभाग के विभिन्न पदों पर अपनी पसंद के लोगों को नियुक्त करते थे. इस दिन, सीबीआई ने अदालत को बताया कि पार्थ ने नाकतला स्थित अपने घर के ग्राउंड फ्लोर पर एक कार्यालय बनाया था. प्रसन्न रॉय जैसे जॉब एजेंट उस कार्यालय में अक्सर आते थे. उस कार्यालय में बैठकर प्रसन्न राय अयोग्य आवेदकों की सूची बनाते थे. पार्थ ही इस सूची को अंतिम मंजूरी देते थे. इसके बाद यह सूची एसएससी के पूर्व अध्यक्ष सुबीरेश भट्टाचार्य के पास पहुंचती थी. सीबीआई ने अदालत में यह भी दावा किया कि पार्थ ने भ्रष्टाचार करने के लिए ही सुबीरेश को कानून का उल्लंघन करते हुए एसएससी के अध्यक्ष के पद पर बैठाया था. बाद में अदालत ने 19 अगस्त को फिर से पार्थ को अलीपुर कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया.
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने स्कूल सर्विस कमीशन के माध्यम से स्कूलों में ग्रुप डी भर्ती भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई से जांच रिपोर्ट मांगी है. अदालत ने सीबीआई को दो सप्ताह के भीतर जांच की प्रगति पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. मामले की सुनवाई के दौरान न्यायाधीश जयमाल्य बागची और न्यायाधीश गौरांग कंठ की खंडपीठ ने यह आदेश दिया. गौरतलब है कि ग्रुप डी भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार प्रसन्न रॉय ने हाल ही में जमानत की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, इसी मामले की सुनवाई के दौरान प्रसन्न रॉय के अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि उनके मुवक्किल को बिना किसी कारण के जेल में रखा गया है. सीबीआई पिछले कई महीनों से ना ही उनसे कोई पूछताछ कर रही है और ना ही कोई रिपोर्ट पेश कर रही है. खंडपीठ ने इसी मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआई से रिपोर्ट तलब की. मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद हाइकोर्ट में होगी.
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कलकत्ता हाईकोर्ट ने अभिषेक बनर्जी द्वारा दायर किये गये मामले की सुनवाई के दौरान पूछा कि जब अभिषेक बनर्जी आरोपी नहीं हैं तो वह एफआइआर को खारिज करने की गुहार कैसे लगा सकते हैं. भर्ती भ्रष्टाचार के मामले में दर्ज एफआइआर को खारिज करने की अभिषेक बनर्जी की याचिका का विरोध करते हुए इडी ने दावा किया कि वह आरोपी नहीं हैं, इसलिए अभिषेक को यह आवेदन दाखिल करने का कोई अधिकार नहीं है. इस दलील को देखते हुए न्यायाधीश तीर्थंकर घोष ने अभिषेक बनर्जी के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से जवाब मांगा. इस अभिषेक बनर्जी के वकील ने कहा कि भर्ती भ्रष्टाचार मामले में गिरफ्तार सुजय भद्र या कुंतल घोष के बयान में अभिषेक बनर्जी का नाम कहीं नहीं है. चूंकि आपराधिक मामले में कुछ भी निश्चित नहीं है.
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ईडी का कहना है कि वह न तो आरोपी हैं और न ही एफआईआर में उनका नाम हैं. ईडी अभिषेक बनर्जी को फंसाने के लिए नाम दर्ज नहीं करेगी, इस पर भरोसा नहीं है. ऐसे में बार-बार पूछताछ और मानसिक उत्पीड़न को रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की आवश्यकता है. कोर्ट को उन्हें पूरी सुरक्षा देनी चाहिए. हालांकि, ईडी के वकील एमवी राजू ने दावा किया कि अभिषेक बनर्जी को गिरफ्तारी का डर क्यों है. ईडी ने पूछताछ के लिए बुलाया है. यदि वह सही और संतोषजनक उत्तर देते हैं, तो गिरफ्तारी का कोई सवाल ही नहीं है. इसमें सुरक्षा की क्या जरूरत है? इस पर अभिषेक बनर्जी के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि भर्ती भ्रष्टाचार की घटना 2019 में सामने आयी. उसके बाद से अभिषेक बनर्जी का नाम कभी सामने नहीं आया. न तो सीबीआई और न ही ईडी ने उनके बारे में सोचा.
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