कोलकाता: राज्य के स्कूलों में शिक्षक व गैर-शिक्षकों की अवैध रूप से नियुक्ति कराने के लिए किसने रुपये लिये थे, इसका पता सीबीआइ को लगाना ही होगा. मंगलवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान ऐसी ही टिप्पणी कलकत्ता हाइकोर्ट के न्यायाधीश विश्वजीत बसु ने की.
उन्होंने कहा कि अदालत यह चाहती है कि अवैध रूप से नियुक्त हुए सभी लोगों से सीबीआइ पूछताछ करे और पता लगाये कि उन लोगों ने किसे रुपये देकर नौकरी हासिल की है. हाइकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि यहां मजाक नहीं चल रहा. बाकी अभ्यर्थियों के भविष्य के बारे में सोचे बिना अवैध रूप से नियुक्तियां की गयी हैं. वहीं, न्यायाधीश ने सीबीआइ से कहा कि आखिर अवैध रूप से नियुक्त लोगों ने किसे रुपये देकर नौकरी हासिल की है, इसका पता सीबीआइ को लगाना ही होगा.
वहीं, अवैध नियुक्ति मामले में न्यायाधीश ने स्कूल सेवा आयोग से पूछा कि यदि इन कर्मियों को हटा दिया जाये, तो क्या वे लोग इन पदों पर नये सिरे से तत्काल नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने के लिए तैयार हैं, क्योंकि अगर कर्मचारियों को हटाया जाता है, तो इससे स्कूलों के परिचालन में समस्या पैदा हो सकती है.
हाइकोर्ट ने मंगलवार को मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि ग्रुप डी की श्रेणी में नियुक्त व वेटिंग लिस्ट में शामिल 4487 अभ्यर्थियों की उत्तर-पुस्तिका व ओएमआर शीट जल्द से जल्द प्रकाशित करना होगा. उन्होंने इसके लिए एसएससी को 31 जनवरी तक का समय दिया है. हाइकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि सीबीआइ ने गाजियाबाद से जो ओएमआर शीट बरामद किया है, उसे प्रकाशित करना होगा. मामले की अगली सुनवाई आठ फरवरी को होगी.