Teachers Day 2020 : खूंटी (चंदन कुमार) : मुरहू के इट्टी गांव की सेवानिवृत शिक्षिका मेरी हस्सा पूर्ति शारीरिक रूप से दिव्यांग हैं. इस कारण वह स्वयं उठने-बैठने में असमर्थ हैं. इसके बाद भी शिक्षा देने का जज्बा उनके अंदर कभी कम नहीं हुआ. वो स्कूल में तो बच्चों को पढ़ाती ही थीं, अपने घर पर रखकर भी 23 बच्चियों की शिक्षा और भोजन का खर्च उठाती थीं. इनमें से तीन बच्चियां बड़ी होकर शिक्षिका बनीं और दो को सरकारी नौकरी लग गयी.
घर पर वे खुद भी बच्चियों को सिखाती थीं. सेवानिवृति के बाद भी उन्होंने यह सिलसिला बंद नहीं किया. अब भी तीन बच्चियां उनके घर पर रहती हैं. इसमें से दो इंटरमीडिएट और एक स्नातक में पढ़ रही हैं. मेरी हस्सा पूर्ति उनकी शिक्षा का सारा खर्च अपनी पेंशन की राशि से वहन कर रही हैं.
मेरी हस्सा पूर्ति ने बताया कि पिता की मौत के बाद उनकी पढ़ाई बंद हो गयी थी. इसके बाद एक विदेशी महिला सिस्टर लिलियाटो ने उनकी शिक्षा का खर्च उठाया. पढ़ाई पूरी करने के बाद वे शिक्षिका बन गयीं. उनकी पहली पोस्टिंग मुरहू के बुरजू में हुयी थी.
वर्ष 1986 में मां का देहांत होने के बाद वह लाचार हो गयीं. विवाह भी नहीं हुयी. इसके कारण मुरहू के सिटीडीह गांव से एक बच्ची को उनके माता-पिता की अनुमति से वे अपने घर ले आयीं. इसके बाद वे लगातार बच्चियों को अपने घर पर लाकर रखने लगीं और पढ़ाई समेत पूरा खर्च उठाने लगीं. इससे उन्हें भी मदद मिल जाती है.
Posted By : Guru Swarup Mishra