Telangana Formation Day 2023: 2 जून को तेलंगाना राज्य स्थापना दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसी दिन तेलंगाना 2014 में भारत के नया राज्य के रूप में सामने आया. 2 जून कई साल लंबे आंदोलन का अंतिम परिणाम था, जिसमें भाषा, संस्कृति के आधार पर अलग राज्य बनाया गया. तेलंगाना के फॉर्मेशन डे के मौके पर तेलंगाना आंदोलन की कहानी जरूर सुनाई जाती है, तो आज हम आपको बताते हैं कि कितने संघर्ष के बाद तेलंगाना अलग राज्य (Telangana Separation Story) बना था.
1 नवंबर 1956 को तेलुगु बोलने वाले लोगों के लिए तेलंगाना को आंध्र प्रदेश के साथ विलय कर एक एकीकृत राज्य बनाने के लिए उस राज्य को तत्कालीन मद्रास से अलग कर बनाया गया था. 1969 में, तेलंगाना क्षेत्र में एक नए राज्य के लिए विरोध और आंदोलन किया गया. 1969 के आंदोलन में विभिन्न सामाजिक संगठनों, छात्र संघों और सरकारी कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. विरोध इतना हिंसात्मक था कि पुलिस फायरिंग में कई लोग मारे गए. यह विरोध का ही नतीजा था कि 1972 में अलग आंध्र प्रदेश के रूप में एक नए राज्य का गठन किया गया.
आपको जानकारी के लिए बता दें कि लगभग 40 वर्षों के विरोध के बाद फरवरी 2014 में तेलंगाना बिल भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस वर्किंग कमीटी की तरफ से लोकसभा में पारित किया गया था. भारतीय संसद में बिल 2014 में पेश किया गया था और उसी साल आंध्र प्रदेश रीऑर्गेनाइजेशन एक्ट को स्वीकृति प्राप्त हुई. विधेयक के मुताबिक, उत्तर-पश्चिमी आंध्र प्रदेश के 10 जिलों द्वारा तेलंगाना राज्य का गठन किया गया.
हैदराबाद रियासत को भारत में शामिल होने के तुरंत बाद ही तेलंगाना को अलग क्षेत्र बनाने की मांग शुरू की थी. साल 1950 के दशक की शुरुआत में ही, हैदराबाद राज्य में तेलंगाना क्षेत्र के लोगों ने अलग राज्य की मांग के साथ खुद को संगठित करना शुरू कर दिया. 1953 में भारत सरकार ने देश में विभिन्न राज्य की मांगों को देखने के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) की नियुक्ति की. इस आयोग का नेतृत्व फजल अली, कवलम माधव पणिक्कर और एच.एन. कुंजरू ने किया था.
इसके बाद भी तेलगांना को अलग राज्य घोषित करने की मांग जारी रही. फिर साल 1969 में राज्य में एक आंदोलन हुआ. जनवरी 1969 में, छात्रों ने अलग राज्य के लिए विरोध तेज कर दिया. इसके बाद कई समझौते भी किए गए हैं, जिसमें तेलंगाना के स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित पदों पर कार्यरत सभी गैर-तेलंगाना कर्मचारियों का तुरंत तबादला करना आदि शामिल था. लेकिन विरोध कम नहीं हुआ और अधिक से अधिक छात्र और कर्मचारी राज्य के आंदोलन में शामिल हो गए. सरकारी वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, आंदोलन के इस चरण के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस की गोलीबारी में लगभग 369 लोगों की मौत हो गई.
साल 1973 में तेलंगाना को अलग राज्य बनाने की मांग थोड़ी शांत हो गई थी, लेकिन 1990 के दशक में फिर से इसकी मांग बढ़ी. तेलंगाना के लोगों ने अलग तेलंगाना राज्य की मांग के साथ कई संगठनों के साथ जुड़ना शुरू कर दिया. साल 1997 में, भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई इस आंदोलन में उतर गई और तेलंगाना की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया.