टेलीफोन के तार की खासियत करेगी आपको हैरान, भूकंप के बारे में पता लगाने . . .
संचार व्यवस्था के लिए सुमद्र के नीचे बिछाई गई फाइबर-ऑप्टिक केबल्स जो वैश्विक दूरसंचार नेटवर्क का निर्माण करते हैं, भूंकप की निगरानी के साथ-साथ छिपी हुई भूगर्भिक संरचनाओं का आकलन करने में मदद कर सकते हैं.
1878 में, बेल टेलीफोन कंपनी ने प्रत्येक उपयोगकर्ता के टेलीफोन से अंतिम कार्यालयों तक दो-तार सर्किट (जिसे स्थानीय लूप कहा जाता है ) का उपयोग करना शुरू किया, जो आवाज संकेतों को अधिक दूर के टेलीफोनों तक प्रसारित करने की अनुमति देने के लिए आवश्यक विद्युत स्विचिंग करता था.
भूगर्भिक संरचनाओं का आकलन करने में मदद
संचार व्यवस्था के लिए सुमद्र के नीचे बिछाई गई फाइबर-ऑप्टिक केबल्स जो वैश्विक दूरसंचार नेटवर्क का निर्माण करते हैं, भूंकप की निगरानी के साथ-साथ छिपी हुई भूगर्भिक संरचनाओं का आकलन करने में मदद कर सकते हैं. एक अध्ययन में यह दावा किया है. साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया है.
भूकंप से हुई तबाही का आकलन
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका के कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले के शोधकर्ताओं ने इन केबल्स की मदद से अपने चार दिवसीय प्रयोग के दौरान 3.5 तीव्रता के भूकंप और पानी के नीचे के भूकंप से हुई तबाही का आकलन किया. इसका पता लगाने के लिए उन्होंने एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया, जिसमें एक डिवाइस के जरिये प्रकाश का पता लगाया जा सकता है और भूकंप की तरंगों की पहचान भी की जा सकती है
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि शोधकर्ताओं ने केबल के प्रत्येक दो मीटर पर हुए परिवर्तनों को मापा और 20 किलोमीटर के खंड को 10,000 व्यक्तिगत भूकंपीय सेंसरों में बदल दिया. शोधकर्ताओं ने कहा, ‘इस तकनीक के जरिये ऐसे फॉल्ट सिस्टम की पहचान भी की गई है, जिनका अब तक पता नहीं लग पाया था. इसके अलावा इसका उपयोग ज्वार और तूफान का निरीक्षण करने के लिए भी किया जा सकता है. बता दे कि शोधकर्ताओं ने इस तकनीक को ‘डिस्ट्रीब्यूटेड एकॉस्टिक सेंसिंग’ नामक दिया है. इसका इस्तेमाल पहले जमीन पर फाइबर-ऑप्टिक केबल के साथ परीक्षण के लिए किया गया था, लेकिन अब इसका प्रयोग उन इलाकों में समुद्र के नीचे होने वाली गतिविधियों का डाटा पाने के लिए भी किया जा सकता है, जहां भूकंप की निगरानी के लिए स्टेशन सीमित संख्या में हैं.’