Gorakhpur: उत्तर प्रदेश में गोरखपुर समेत 5 अन्य जिलों में राजकीय संस्कृत विद्यालय खोले जाएंगे. राजकीय संस्कृत विद्यालय विहीन जनपदों में से 10 में स्वीकृत उत्तर मध्यमा (कक्षा 12 ) तक के नवीन राजकीय विद्यालयों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद व धार्मिक नगरी के रूप में पहचाने जाने वाले चार प्रमुख जिलों का नाम ना होने को शासन ने गंभीरता से लिया है. हालांकि शिक्षा विभाग की भूमि उपलब्ध न होना. राजकीय संस्कृत विद्यालय विहीन 10 जनपदों में नाम ना होने की एक वजह है. प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार ने प्रयागराज, मथुरा, अयोध्या, गोरखपुर और चित्रकूट के जिलाधिकारी से भूमि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने सभी पांचों जिले के जिलाधिकारी से पत्र लिखकर भूमि उपलब्धता के संबंध में जानकारी मांगी है. उपनिदेशक संस्कृति सीएल चौरसिया ने सभी पांचों जिलों में राजकीय संस्कृत विद्यालय उत्तर मध्यमा तक खोलने का प्रस्ताव शासन को भेजा है.
प्रमुख सचिव ने इन जिलों के जिलाधिकारी को 3 एकड़ भूमि की उपलब्धता के निर्देश दिए हैं. ताकि विद्यालय की स्वीकृति के बाद इसकी स्थापना का कार्य बजट मिलने के साथ ही आगे बढ़ सके. जिन 5 जिलों में संस्कृत विद्यालय स्थापित किए जाने का प्रस्ताव उपनिदेशक संस्कृत ने भेजा है.उनमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का गृह जनपद गोरखपुर इसके अलावा अयोध्या वह चित्रकूट की पहचान प्रभु श्री राम के नाम से है. वहीं मथुरा की पहचान भगवान श्री कृष्ण के नाम से है जबकि प्रयागराज की ख्याति संगम व महाकुंभ मेले से है.
वर्तमान में पूरे राज्य में केवल एक राजकीय संस्कृत माध्यमिक और एक राजकीय संस्कृत डिग्री कॉलेज संचालित है. इससे पहले उत्तर प्रदेश के 10 जिले में संस्कृत माध्यम की माध्यमिक विद्यालय स्थापित किए जाने का मामला सामने आया था. यह जिले वाराणसी, रायबरेली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर ,मुरादाबाद, शामली, जालौन, एटा ,अमेठी और हरदोई है. यह उत्तर प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार की एक पहल का हिस्सा है.
रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर
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