Jharkhand: कोयला मंत्री बोले- कोल कंपनियों में स्थानीय को एक करोड़ तक का टेंडर, सीएम हेमंत सोरेन ने की ये मांग
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कोल कंपनियों में 75 प्रतिशत नौकरी स्थानीय को देने की मांग केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के समक्ष रखी. साथ ही कहा कि झारखंड स्थित सभी कोल परियोजनाओं में नौकरी और एक तय की गयी राशि का टेंडर कांट्रैक्ट हर हाल में स्थानीय को मिले.
रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को कोल कंपनियों में 75 प्रतिशत नौकरी स्थानीय को देने की मांग केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के समक्ष रखी. साथ ही कहा कि झारखंड स्थित सभी कोल परियोजनाओं में नौकरी और एक तय की गयी राशि का टेंडर कांट्रैक्ट हर हाल में स्थानीय को मिले. इस पर केंद्रीय कोयला मंत्री ने कहा कि राजमहल तालझारी कोल परियोजना में अगले दो साल तक के लिए एक करोड़ रुपये तक का टेंडर स्थानीय को दिया जायेगा. उन्होंने आनेवाले दिनों में इसे सभी कोल कंपनियों में लागू किये जाने का आश्वासन दिया. सीएम आवास में शनिवार को केंद्रीय कोयला मंत्री, मुख्यमंत्री व अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक हुई.
बैठक में राजमहल तालझारी कोल परियोजना, हुर्रा कोल परियोजना और सियाल कोल परियोजना को ऑपरेशनल बनाने में आ रही अड़चनों, समस्याओं और उनके निदान पर चर्चा हुई. साथ ही खदानों की नीलामी पर भी चर्चा हुई. इस दौरान मुख्यमंत्री ने जमीन अधिग्रहण, रैयतों को मुआवजा, विस्थापितों के पुनर्वास और नौकरी एवं सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू पर पक्ष रखा. इस पर केंद्रीय कोयला मंत्री ने मुख्यमंत्री से कहा कि कोल खनन को लेकर राज्य सरकार की जो भी मांग है, उस पर केंद्र सरकार विचार-विमर्श कर आवश्यक कार्रवाई करेगी.
खास बात
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कोल कंपनियों में 75 फीसदी नौकरी स्थानीय को दें : हेमंत
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केंद्रीय कोयला मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार की मांगों पर केंद्र करेगा विचार
रैयतों के मुआवजे की बात भी उठायी गयी
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल द्वारा कोयला उत्पादन के लिए जमीन का अधिग्रहण किया जाता है. ऐसे में सरकार ने निर्णय लिया है कि इन सभी कोल माइंस में 75 प्रतिशत नौकरी स्थानीय लोगों को मिले. साथ ही कोल माइंस के लिए जो टेंडर जारी होते हैं, उसमें भी स्थानीय लोगों को हर हाल में प्राथमिकता मिलनी चाहिए. उन्होंने रैयतों के मुआवजे और सरकार को मिलनेवाले रेवेन्यू पर पक्ष रखा.
जमीन का सेटलमेंट कागज दें
बैठक में राजमहल सांसद विजय हांसदा ने कहा कि कोल कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के बाद विस्थापितों का जहां पुनर्वास किया जाता है, उस जमीन का सेटलमेंट कागज उन्हें नहीं दिया जाता है. इस कारण उन्हें स्थानीय प्रमाण पत्र बनाने में तकनीकी अड़चनों का सामना करना पड़ता है. कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस समस्या का समाधान करने के लिए आवश्यक पहल की जायेगी. बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव विनय कुमार चौबे और खान सचिव पूजा सिंघल के अलावा कोयला मंत्रालय और कोल कंपनियों के अधिकारी मौजूद थे.
तालझारी परियोजना शुरू नहीं हुई, तो इसीएल के सामने आ जायेगा बंदी का खतरा
मौके पर कोयला मंत्रालय और इसीएल के अधिकारियों ने राजमहल तालझारी कोल परियोजना को चालू करने में आ रही अड़चनों से राज्य सरकार को अवगत कराया. उन्होंने कहा कि अगर इसे चालू नहीं किया गया, तो इसीएल को बंद करने की तक की नौबत आ सकती है.
सुरक्षा मानक व जमीन के मुद्दे पर भी चर्चा
उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने विभिन्न कोल परियोजनाओं में सुरक्षा मानकों का पूरा ख्याल नहीं रखे जाने तथा विस्थापितों को बार-बार एक से दूसरी जगह शिफ्ट करने का भी मुद्दा रखा. यह भी कहा कि सीसीएल, बीसीसीएल और इसीएल द्वारा कोयला खनन के लिए जितनी जमीन का अधिग्रहण किया जाता है, उसका इस्तेमाल नहीं होता है.
Posted by: Pritish Sahay