प्रणव की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का कमाल, गूगल से दुनियाभर के भूखे लोगों तक पहुंचायी रोटी

राउरकेला (मुकेश कुमार सिन्हा) : संचार क्रांति के इस युग में हर जानकारी गूगल पर उपलब्ध है. यह कहा जाता है कि गूगल पर सब कुछ खोजा जा सकता है. रोटी डाउनलोड नहीं की जा सकती, लेकिन राउरकेला एनआइटी के पूर्व छात्र तथा अमेरिका में गूगल के सीनियर इंजीनियरिंग लीड प्रणव खेतान ने कम से कम समय में दुनियाभर के भूखों तक रोटी पहुंचाने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आविष्कार कर भूखों की भूख मिटाने की नायाम तकनीक बनायी है. इस तकनीक की वजह से यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को वर्ष 2020 के लिए नोबल शांति पुरस्कार हासिल करने में मदद मिली है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 21, 2020 8:52 AM
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राउरकेला (मुकेश कुमार सिन्हा) : संचार क्रांति के इस युग में हर जानकारी गूगल पर उपलब्ध है. यह कहा जाता है कि गूगल पर सब कुछ खोजा जा सकता है. रोटी डाउनलोड नहीं की जा सकती, लेकिन राउरकेला एनआइटी के पूर्व छात्र तथा अमेरिका में गूगल के सीनियर इंजीनियरिंग लीड प्रणव खेतान ने कम से कम समय में दुनियाभर के भूखों तक रोटी पहुंचाने वाली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का आविष्कार कर भूखों की भूख मिटाने की नायाम तकनीक बनायी है. इस तकनीक की वजह से यूनाइटेड नेशन वर्ल्ड फूड प्रोग्राम को वर्ष 2020 के लिए नोबल शांति पुरस्कार हासिल करने में मदद मिली है.

प्रणव नोबल पुरस्कार विजेता इस संस्था के सलाहकार परिषद के सदस्य होने के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी लीडर भी हैं. वर्ल्ड फूड प्रोग्राम, डब्ल्यूएफपी पिछले कई दशकों से दुनिया के अलग-अलग स्थानों पर भुखमरी के शिकार लोगों की मदद करती रही है. अब तक लाखों लोगों की मदद यह संस्था कर चुकी है. खासकर युद्ध काल में इस संस्था ने प्रथम मानवीय संस्था के तौर पर पीड़ित लोगों तक पहुंचने का काम किया व उनकी मदद की.

प्रणव के नेतृत्व में गूगल सर्च ने इस मिशन से जुड़ने के बाद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी की मदद से पीड़ित लोगों तक कम से कम समय में पहुंचने का काम किया. गूगल व डब्ल्यूएफपी के बीच इस मिशन को लेकर पार्टनरशिप शुरू हुई. इसमें प्रणव इस संस्था के एडवाइजरी काउंसिल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी लीडर के रूप में जुड़े.

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प्रणव ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी बनाने के लिए अपनी टीम का नेतृत्व किया. इस तकनीक की मदद से प्रभावित लोगों तक 24 से 72 घंटों के अंदर तक संपर्क करने के साथ सही समय पर सहायता पहुंचाने में मदद मिली. यह संस्था वर्ष 2019 में 88 देशों में 100 मिलियन लोगों को खाद्य सुरक्षा प्रदान करने का काम कर चुकी है.

प्रवण खेतान राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, एनआइटी, राउरकेला के पूर्व छात्र हैं. उनकी इस उपलब्धि पर एनआइटी, राउरकेला एल्युमिनी एसोसिएशन ने हर्ष जताने के साथ उन्हें बधाई दी है. राउरकेला में ही पले-बढ़े प्रणव खेतान ने एनआइटी राउरकेला से बी-टेक की डिग्री 2009 में हासिल की थी. वहीं उन्होंने स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमएस की डिग्री हासिल की है.

प्रणव मेहनती होने के साथ-साथ अपने बैच के टॉपर भी रहे हैं. प्रणव के पिता पवन खेतान कोलकाता में सीए हैं, जबकि उनकी मां ऊषा खेतान गृहिणी हैं. उनके दादा गिरधारीलाल खेतान की राउरकेला में ओडिशा वस्त्र भंडार नामक कपड़े की दुकान है.

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प्रणव की उपलब्धि पर उसके दादाजी गिरधारीलाल खेतान काफी प्रसन्न हैं. उन्होंने बताया कि प्रणव का जन्म राउरकेला में हुआ था, लेकिन उनकी पढ़ाई-लिखाई कोलकाता में हुई थी. इंजीनियरिंग की पढ़ाई उन्होंने राउरकेला एनआइटी से की है. उन्होंने कहा कि वह आगे बढ़े और तरक्की करे. मेरा आशीर्वाद हमेशा उसके साथ है.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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