Mini Lockdown in Jharkhand : झारखंड में मिनी लॉकडाउन से साहिबगंज के रेशम नगर भगैया के बुनकरों की बढ़ी परेशानी, पढ़िए क्या है मजदूरों की पीड़ा
Mini Lockdown in Jharkhand, साहिबगंज न्यूज (गुड्डू रजक) : झारखंड के साहिबगंज जिले के मंडरो प्रखंड अर्न्तगत कौडीखुटाना पंचायत के कौडीखुटाना में रेशम नगर के नाम से प्रसिद्ध भगैया गांव में लगभग एक सौ बुनकर मजदूर अपने-अपने घरों में हैंडलूम से कार्य करते हैं, लेकिन जब से झारखंड में मिनी लॉकडाउन लगा है, तब से कार्य बंद होने के कारण बुनकर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. बुनकर मजदूरों का कहना है कि जब लॉकडाउन नहीं लगा था, तब वे अपने परिवार के साथ मेहनत कर 300-400 रुपये तक का कमा लेते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन लगा है तब से कार्य बंद हैं और कोई काम मिल भी नहीं मिल रहा है. इससे परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो गया है.
Mini Lockdown in Jharkhand, साहिबगंज न्यूज (गुड्डू रजक) : झारखंड के साहिबगंज जिले के मंडरो प्रखंड अर्न्तगत कौडीखुटाना पंचायत के कौडीखुटाना में रेशम नगर के नाम से प्रसिद्ध भगैया गांव में लगभग एक सौ बुनकर मजदूर अपने-अपने घरों में हैंडलूम से कार्य करते हैं, लेकिन जब से झारखंड में मिनी लॉकडाउन लगा है, तब से कार्य बंद होने के कारण बुनकर भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. बुनकर मजदूरों का कहना है कि जब लॉकडाउन नहीं लगा था, तब वे अपने परिवार के साथ मेहनत कर 300-400 रुपये तक का कमा लेते थे, लेकिन जब से लॉकडाउन लगा है तब से कार्य बंद हैं और कोई काम मिल भी नहीं मिल रहा है. इससे परिवार का भरण पोषण मुश्किल हो गया है.
बुनकरों ने बताया कि जो गरीब तबके के बुनकर मजदूर हैं वो अपने परिवार का भरण पोषण करने के लिए अपने महाजन के घर पर जाकर कार्य करते थे, अब उन्हें वो भी कार्य नहीं मिल रहा है. महाजन के साथ भी समस्या यह है कि उनके द्वारा जो बुनकर मजदूर से कपड़ा बुनाई कराकर बड़े-बड़े शहरों में बिक्री किया करते थे, वहां भी शिल्क का कपड़ा बेचने के लिए समुचित व्यवस्था अभी नहीं है. बुनकर अपनी निजी पूंजी लगा कर शिल्क का कपड़ा एवं धागा तैयार कर रहे हैं, उसकी भी उचित कीमत नहीं मिल पा रही है. बुनकर परिवार सरकार द्वारा दिए गये निर्देशों का पालन कर रहे हैं. बुनकरों ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार एवं जिला प्रशासन से बुनकरों के हित में उचित पहल करने की मांग की है.
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बुनकर चंदन कुमार कहते हैं कि सरकार के द्वारा अब तक बुनकर मजदूरों को किसी प्रकार की सहायता के लिए कोई पहल नहीं की गयी है. इस ओर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है. बुनकर दुलारी देवी कहती हैं कि जब से लॉकडाउन लगा है. तब से हम लोगों की रोजी रोटी पर पूरा तरह से प्रभाव पड़ गया है.
बुनकर मजदूर माधुरी देवी कहती हैं कि मिनी लॉकडाउन नहीं लगा था तो हमलोग अपने पूरे परिवार के साथ रेशम का धागा तैयार कर दिन भर में 300-400 रुपये कमा लेते थे, लेकिन अब एक भी रुपया नहीं कमा पा रहे. बुनकर कमलेश कुमार ने कहा कि भगैया में लगभग एक सौ बुनकर मजदूर घागा कटाई व बुनाई का कार्य करते हैं. यदि लॉकडाउन नहीं रहता तो हम लोगों को कोई परेशानी नहीं होती.
Posted By : Guru Swarup Mishra