राज्य के विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलरों ने अभी तक राज्यपाल एवं चांसलर सीवी आनंद बोस को साप्ताहिक रिपोर्ट भेजने का फैसला नहीं किया है. विभिन्न विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर इसको लेकर दुविधा में हैं. उनका कहना है कि 2019 में बंगाल सरकार का एक नियम लागू किया गया है, जिसमें कहा गया है कि वीसी से चांसलर तक सभी संचार शिक्षा विभाग को संबोधित किये जायेंगे. अब अगर वे रिपोर्ट भेजते हैं तो, पहले शिक्षा विभाग के संज्ञान में लाना होगा अथवा अनुमित लेनी होगी.
इस विषय में कुलपतियों का कहना है कि जब तक नियम लागू हैं, उन्हें यकीन नहीं है कि साप्ताहिक गतिविधि रिपोर्ट सीधे राजभवन को ईमेल करना उचित होगा या नहीं. नाम न लिखने की शर्त पर एक वाइस चांसलर ने कहा कि नियम यह भी कहते हैं कि कुलाधिपति (चांसलर) द्वारा किसी भी राजकीय सहायता प्राप्त विश्वविद्यालय के लिए प्रस्तावित हर संचार शिक्षा विभाग के माध्यम से किया जायेगा और ‘इस तरह के संचार पर कार्रवाई एक बार विभाग द्वारा अनुमोदित होने के बाद की जायेगी.
गौरतलब है कि गत चार अप्रैल को राज्यपाल ने पश्चिम बंगाल के राजकीय सहायता प्राप्त विश्वविद्यालयों से ‘साप्ताहिक गतिविधि रिपोर्ट’ ईमेल करने व सीधे उनसे संपर्क करने के लिए एक विज्ञप्ति जारी की थी. इसके बाद शिक्षा मंत्री ने उनके इस निर्णय की कड़ी आलोचना की थी. उनका कहना था कि राज्यपाल अपनी मनमानी कर रहे हैं. राज्यपाल की विज्ञप्ति अस्थिर है.
वहीं एक अन्य वाइस चांसलर ने कहा कि चांसलर हमसे जो करवाना चाहते हैं, वह नियम के अनुसार स्पष्ट विरोध में है. हम शिक्षा विभाग को दरकिनार कर सीधे चांसलर को साप्ताहिक रिपोर्ट कैसे भेज सकते हैं?” कुलपतियों को यह भी कहा गया है कि वे किसी भी वित्तीय निर्णय के लिए कुलाधिपति की स्वीकृति लें. हम एक राज्य वित्त पोषित विश्वविद्यालय हैं. नियमानुसार विश्वविद्यालय के मामलों में शिक्षा विभाग का पूर्ण अधिकार है. जब तक नियम हैं, तब तक विभाग को दरकिनार करना समझदारी नहीं होगी. उनका कहना है कि शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच की लड़ाई में वे बीच में फंस रहे हैं.