औरंगाबाद : निर्भया कांड के दोषी अक्षय ठाकुर को फांसी मिलने के साथ ही उसकी पत्नी की पति से अंतिम मुलाकात की ख्वाहिशें हमेशा के लिए अधूरी रह गयीं. फांसी से पहले बेटे के साथ पत्नी पुनीता दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद पति अक्षय ठाकुर से मिलने पहुंची थी. लेकिन, विलंब से पहुंचने के कारण जेल प्रशासन ने मुलाकात की अनुमति नहीं दी. अक्षय को फांसी होने की सूचना मिलते ही वह फूट-फूट कर रो पड़ी.
ताउम्र के दुखों से भीगी आंखों के साथ उसने कहा कि ”वो तो चले गये, लेकिन अब मैं पल-पल मरूंगी.” साथ रहे अन्य घरवालों की आंखें भी नम हो थीं. इधर, अक्षय ठाकुर को फांसी दिये जाने के बाद नवीनगर प्रखंड के लहंग कर्मा में मातमी सन्नाटा पसर गया है. कुछ सुनायी देती है, तो वह अक्षय के घर से रोने-चिल्लाने की आवाज.
ग्रामीणों के चेहरे पर गुस्से का भाव था, तो सिकन भी. गांव की अधिकतर गलियां वीरान नजर आयीं. हां, कुछ नौजवान गली में घूमते दिखे, जो मीडिया वालों पर नजर बनाये हुए थे कि वे किसी भी रास्ते गांव तथा अक्षय के घर तक नहीं पहुंच जाएं. बातचीत करने पर पता चला कि अक्षय को फांसी से ग्रामीणों को दुख भी है.
उनका कहना था कि जिस आरोप में उसे फांसी दी गयी है, वह ऐसा लड़का नहीं था. घर परिवार की माली हालत ठीक नहीं होने के कारण दिल्ली में नौकरी करने गया था. किसी कंपनी में जब काम नहीं मिला, तो वह बस में कंडक्टर का काम करने लगा था.
इसी बीच, सूचना मिली कि वह दिल्ली में निर्भया हत्याकांड में शामिल था. गांव के लोग भी हतप्रभ रह गये. अक्षय की गिरफ्तारी के बाद पिता सरयू सिंह समेत पूरा परिवार ने उसे जेल से छुड़ाने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. हालांकि, इसमें वह सफल नहीं हो पाये और अंतत: अक्षय को फांसी दे दी गयी. इसी के साथ वृद्ध पिता के साथ पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है.
अक्षय ठाकुर को फांसी होने के बाद उसकी पत्नी पुनीता ने मीडिया पर भी नाराजगी जतायी. उसने कहा कि यह फांसी अक्षय को नहीं, उसे मिली है. सबों ने निर्भया की मां की आवाज सुनी. वह भी एक महिला है. मां है. लेकिन, उसकी आवाज किसी ने नहीं सुनी. उसने कहा कि मोदी सरकार नारी सुरक्षा की बात करती है. वह भी तो एक नारी है. उसके साथ न्याय क्यों नहीं हो सका?
पति को फांसी होने के कुछ दिनों पहले ही तलाक की अर्जी दायर करनेवाली पुनीता ने कहा कि उसने यह अर्जी फांसी की सजा रोकने के लिए दायर नहीं की थी. पुनीता ने तलाक के मुकदमे के रहते फांसी देने पर सवाल भी उठाया. उसने कहा कि वह दुष्कर्म के सजायाफ्ता की विधवा का जीवन जीना नहीं चाहती थी, उसकी जिंदगी लंबी है. उसके साथ एक मासूम बच्चा भी है. इसलिए वह तलाक चाहती है. अंतिम मुलाकात में वह इस बाबत पति से बात कर उसे राजी करना चाहती थी. अब उसका और उसके बच्चे का क्या होगा. आखिर इनकी परवरिश कैसे होगी.