Jharkhand News: सरकार जहां एक ओर राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन नीति बना रही है और योजनाएं ला रही है. वहीं, सरकारी विभागों की अनदेखी के कारण पर्यटन की दृष्टि से बनी बनायी चीजें बर्बादी के कगार पर है. इसका एक उदाहरण है टेल्को और गोविंदपुर के अंतिम छोर पर वन विभाग द्वारा बनाया गया घोड़ाबांधा ‘थीम पार्क’, जो खंडहर हो चला है. पहाड़ी, जंगल, हरी वादियां जैसे आप प्रकृति की गोद में आ पहुंचे हो, थीम पार्क का कुछ ऐसा ही दृश्य है, लेकिन अव्यवस्था, देखरेख की कमी के कारण पार्क की स्थिति दयनीय हो चुकी है. पार्क के अंदर लगे झूले, पर्यटकों के बैठने की कुर्सी, सीमेंट की बनायी गयी कलाकृति क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. अब यहां पानी भी नहीं आता है. पार्क की स्थिति पिछले चार-वर्षों से है.
वर्ष 2011 में किया गया था तैयार
टेल्को और गोविंदपुर एरिया से सटे वन विभाग के बड़े भू-भाग वर्ष 2009 में डीएफओ एटी मिश्रा के कार्यकाल में शुरू हुआ जो वर्ष 2011 तक रहे डीएफओ संजीव कुमार के कार्यकाल में पूरा हुआ. जंगल वाले इस क्षेत्र को पार्क का स्वरूप देने में 25 लाख रुपये खर्च किये गये थे. वॉच टावर के अलावे कृत्रिम झरना, झारखंड संस्कृति को प्रदर्शित करने के लिए मूर्तियां बनायी गयी थी. उसके बाद के वर्षों में भी अलग अलग चरण में पार्क का विकास कार्य के तहत बच्चों के लिए झूला व एक एरिया में छोटा चैक डैम ऊपर लक्ष्मण झूला (रोप वे) बनाया गया. इन सब कार्यों में भी 25 से 30 लाख रुपये खर्च किये गये. लेकिन वर्तमान में पार्क का एक एक चीज टूट चुका है. पार्क के नाम पर महज इंट्री गेट और उसका नाम रह गया है.
कैफेटेरिया की थी सुविधा, स्क्रैप रूम बना
पार्क के इंट्री गेट के समीप ही पर्यटकों की सुविधा की दृष्टि से कैफेटेरिया (कैंटीन) और आराम गृह बनाया गया था. लेकिन आज खंडहर और स्क्रैप रूम बन गया है. कैंटीन को बंद हो चुका है और अंदर हॉल और कमरे में कचरे का अंबार भरा पड़ा है. वहीं, पार्क के अंदर लक्ष्मण झूला बनाया गया था. शुरुआत में इसके प्रति पर्यटकों का खूब आकर्षण था. लोग देखने के लिए आते थे. लेकिन अब ये झूला पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है. यह काफी खतरनाक हो चुका है.
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‘थीम पार्क’ के अंदर प्रवेश करने पर सौ मीटर आगे बढ़ने पर दाहिने ओर पवेलियन व बीच में एक मंच दिखेगा. यह ओपेन थिएटर है. पार्क में यह ओपेन थिएटर इसलिए बनाया गया था ताकि समय समय पर यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम व पर्यावरण जैसे विषय पर चर्चा परिचर्चा के साथ बच्चों के लिए इन विषयों पर सेमिनार किये जा सके. लेकिन बनने के बाद से इस थिएटर का ऐसा कोई उपयोग नहीं हुआ.
सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं
पूरा पार्क एक बुजुर्ग गार्ड के भरोसे है. दिन भर उतने बड़े पार्क में एक भी फॉरेस्ट गार्ड नहीं है. परिवार वालों के साथ युगल जोड़ी भी यहां आते हैं. लेकिन पार्क में सुरक्षा की दृष्टि से कोई इंतजाम नहीं है. मालूम हो कि इस पार्क में पूर्व में कई तरह की घटनाएं हो चुकी है. छेड़खानी और दुष्कर्म जैसे वारदात से यह पार्क अपने असुरक्षित होने की गवाही दे चुका है.
संरक्षित व सुरक्षित हो तो, आय और रोजगार का बनेगा बड़ा माध्यम
वन विभाग अगर इस पार्क को सुनियोजित तरीके से संरक्षित, सुरक्षित और संचालित करने का काम करे, तो यह बड़ा आय एवं रोजगार का माध्यम बन सकता है. पार्क की समुचित देखरेख और पर्यटकों को सुविधा दी जाए, तो वे आकर्षित होंगे और यहां आएंगे. दलमा की तरह इसे भी संचालित किया जा सकता है.
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