नई दिल्ली : भारत में कारों का इतिहास काफी लंबा है. अंग्रेजों के जमाने से लेकर अब तक कई कारें बाजार में उतारी गईं, जो लंबे समय तक लोगों को सफर कराती रहीं. इनमें से कई कारें कई सालों तक टॉप सेलिंग बनी रहीं. उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गईं कि वे सभी कारों की कैटेगरी का आईकॉन बन गईं. यहां पर हम उन पांच खास कारों के बारे में बात कर रहे हैं, जो लंबे अरसे तक आम आदमी से लेकर खासमखास लोगों में पॉपुलर बनी रहीं. यहां तक कि इनमें से कई कारें सेना, सरकार, सरकार के मंत्री-संतरी के बीच काफी पॉपुलर बनी रहीं और स्टेटस सैंबल के तौर पर पेश की जाती रहीं, लेकिन अब मार्केट से आउट कर दी गईं. वाहन निर्माता कंपनियों ने इनका अपडेटेड वर्जन अभी तक बाजार में पेश नहीं किया है. आइए, जानते हैं इन लंबे समय तक टिकने वाली इन पांच कारों के बारे में…
मारुति सुजुकी की ओमनी कार भी भारत में लंबे समय तक चलने वाली लोकप्रिय कारों में से एक बनी रही. करीब 34 साल के लंबे सफर के बाद अक्टूबर 2020 से भारत में भारत न्यू व्हीकल्स सेफ्टी असेस्मेंट लागू होने से पहले कंपनी ने 2019 में इसका उत्पादन करना बंद कर दिया था. कंपनी ने सुरक्षा कारणों के चलते इस कार के उत्पादन को बंद कर दिया. मारुति सुजुकी ने ओमनी को पहली बार वर्ष 1984 में लॉन्च किया था. यह भारत की सबसे लोकप्रिय कारों में से एक रही है. 34 साल पुरानी इस कार में दो बार बदलाव किए गए. 1998 में कार में पहली बार बदलाव किया गया, जहां इसमें हेडलैंप्स के साथ इसके स्टॉन्स को थोड़ा चौड़ा किया गया. वहीं, साल 2005 में इसकी डिजाइन को थोड़ा सुधारा गया और इसमें नया डैशबोर्ड दिया गया.
मारुति सुजुकी की लोकप्रिय कारों में जिप्सी भी शामिल है, जो भारत में लंबे समय तक टिकी रही. यह लंबे व्हीलबेस सुजुकी जिम्नी एसजे40/410 सीरीज पर आधारित है. इसे मारुति सुजुकी ने वर्ष 1985 में पेश किया था. इसका निर्माण हरियाणा के गुरुग्राम में किया जाता था. इसे मुख्य रूप से एक ऑफ-रोड वाहन के रूप में बनाया गया था और सभी मॉडल 4डब्ल्यूडी के साथ बनाए गए थे. मारुति की यह गाड़ी भारतीय सशस्त्र बलों, पुलिस और सेना के बीच बेहद लोकप्रिय थी. कार्बन उत्सर्जन और क्रैश मानकों को कड़ा करने के कारण 2018 में आधिकारिक तौर पर इसका उत्पादन बंद कर दिया गया. हालांकि, मारुति ने उत्पादन लाइन को पूरी तरह से बंद नहीं किया है और अब भी विशेष रूप से भारतीय सशस्त्र बलों के लिए बैचों में जिप्सी का उत्पादन कर रही है. सशस्त्र बलों और पुलिस विभाग में अभी भी बड़ी संख्या में इसके अपडेटेड वर्जन की सप्लाई की जाती है.
मारुति सुजुकी 800 एक सिटी कार है, जिसका निर्माण 1983 से 2014 तक किया गया. इसकी पहली पीढ़ी (एसएस 80) 1979 सुजुकी ऑल्टो पर आधारित थी और इसमें 800 सीसी एफ8बी इंजन था. इसलिए इसे उपनाम के तौर पर मारुति के बाद 800 जोड़ा गया. यह कार भारत में सबसे प्रभावशाली कारों में से एक रही है. मारुति ने अपनी 800 मॉडल वाली कार की लगभग 2.87 मिलियन इकाइयों का उत्पादन किया, जिसमें से 2.66 मिलियन इकाइयां भारत में ही बेची गईं. इस कार ने हिंदुस्तान अंबेसडर के बाद करीब 31 बरस तक भारत में राज किया.
हिंदुस्तान मोटर्स की अंबेसडर कार आम आदमी से सरकार और वीवीआईपी लोगों के घरों में लंबे समय तक राज करने वाली कारों में सबसे टॉप कार है. हिंदुस्तान मोटर्स ने इसे पहली बार वर्ष 1957 में लॉन्च किया था और कंपनी की ओर से इसे 2014 तक बनाया गया. इतने लंबे अरसे में इस कार में दो बार बदलाव किया गया. अंबेसडर कार मॉरिस ऑक्सफोर्ड सीरीज III मॉडल पर आधारित थी, जिसे पहली बार 1956 से 1959 तक यूनाइटेड किंगडम में काउली ऑक्सफोर्ड में मॉरिस मोटर्स लिमिटेड द्वारा बनाया गया था. अंबेसडर कार को भारतीय सड़कों का राजा भी कहा जाता था. 11 फरवरी, 2017 को हिंदुस्तान मोटर्स ने ट्रेडमार्क सहित अंबेसडर ब्रांड की बिक्री के लिए 80 करोड़ रुपये में में पीएसए ग्रुप के साथ एक समझौता किया. इस गठजोड़ में दोनों समूहों की कंपनियों के बीच दो संयुक्त उद्यम समझौते शामिल थे. कंपनी ने इसका उत्पादन 2014 से फिलहाल बंद कर दिया है.
Also Read: रॉयल एनफील्ड बुलेट के इस पार्ट को तेजी से चुराते हैं चोर, पुलिस भी खा जाती है धोखा, PHOTO देखेंप्रीमियर पद्मिनी 1964 से 2001 तक भारत में प्रीमियर ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड वालचंद ग्रुप के एक डिवीजन की ओर से फिएट के लाइसेंस पर बनाई जाती रही. यह चार सीटों वाली सैलून कार थी. शुरुआत में फिएट 1100 डिलाइट के रूप में इसकी बिक्री की गई. इसके बाद 1974 से प्रीमियर पद्मिनी के रूप में बेची गई. भारत के बाजार में पद्मिनी इसका मुकाबला हिंदुस्तान मोटर्स की अंबेसडर और स्टैंडर्ड हेराल्ड से था. इस लोकप्रिय कार ने भारत के कार बाजार पर लंबे समय तक राज किया और इसकी लोकप्रियता 1970 और 80 के दशक के दौरान अपने चरम पर थी. बॉलीवुड के सुपर स्टार रजनीकांत, ममूटी, आमिर खान सहित उस समय की कई मशहूर हस्तियों के पास प्रीमियर पद्मिनी थी. आम बोलचाल की भाषा में इसे पैड या फिएट के नाम से जाना जाता है. पद्मिनी का नाम 14वीं सदी की एक राजकुमारी पद्मिनी के नाम पर रखा गया था. पद्मिनी मूल अर्थ कमल पर बैठी हुईं देवी लक्ष्मी है. यह उस समय भारत में लड़कियों के लिए एक सामान्य नाम था. प्रीमियम पद्मिनी कार लंबे समय तक मुंबई की लाइफलाइन बनी रही और लोगों को सफर कराती रही. 30 अक्टूबर 2023 से मुंबई में इसे परिवहन व्यवस्था से हटा दिया गया है.
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