फ़िल्म ‘मशाल’ के इस आइकॉनिक सीन का कनेक्शन है दिलीप कुमार के अपने भाई की मौत से…. जानें कैसे
एक्टिंग की दुनिया के सम्राट दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अब हमारे बीच नहीं रहें. लेकिन उनकी फिल्में और यादगार परफॉरमेंस दर्शकों के जेहन में दशकों तक जिंदा रहेंगे. दिलीप कुमार की 1984 में रिलीज फ़िल्म मशाल (Mashaal) का एक वीडियो इस वक़्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है
एक्टिंग की दुनिया के सम्राट दिलीप कुमार (Dilip Kumar) अब हमारे बीच नहीं रहें. लेकिन उनकी फिल्में और यादगार परफॉरमेंस दर्शकों के जेहन में दशकों तक जिंदा रहेंगे. दिलीप कुमार की 1984 में रिलीज फ़िल्म मशाल (Mashaal) का एक वीडियो इस वक़्त सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें विनोद के किरदार में दिलीप कुमार अपनी बीमार पत्नी सुधा (वहीदा रहमान) के लिए मदद को चीखते नज़र आ रहे हैं.
इस 5 मिनट के वीडियो में उन्होंने अपने किरदार की बेबसी को इस कदर जीवंत किया है कि वो आंखों को नम कर जाता है. यह सीन हिंदी सिनेमा के आइकॉनिक सीन में से एक माना जाता है. दिलीप कुमार को मेथड एक्टर कहा जाता है. कहा जाता है कि दिलीप कुमार ने चार दिनों तक रिहर्सल की थी उसके बाद ही यह सीन उन्होंने किया था.
अपनी ऑटो बायोग्राफी दिलीप कुमार द सब्सटांस एंड शैडो में भी दिलीप साहब ने इस सीन का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि मुझे पता नहीं कि यह सही है या नहीं लेकिन जब आप कोई इंटेंस इमोशनल सीन करते हैं तो आप कितनी भी रिहर्सल कर लें लेकिन आप दुख को उस तरह से अपने में नहीं ला सकते हैं जो निजी जिंदगी के आपके अनुभवों को याद करके आप खुद में जगा सकते हैं. वो हकीकत के करीब भी होता है.
इस सीन की शूटिंग करते हुए मैंने आघाजी (अपने अब्बा को वो इसी नाम से संबोधित करते थे) के चेहरे के दर्द को याद किया था जब मेरे भाई अयूब साहब आखिरी सांस ले रहे थे और जल्द जल्द से डॉक्टर्स से खुद को बचाने की गुहार लगा रहे थे.आघाजी की चेहरे की बेबसी और दर्द को मैं कभी नहीं भूल सका था. एक बार अम्मा बेहोश हो गयी थी आघाजी ने उनकी अधमरे से शरीर को अपने हाथों में उठाया था. मशाल के सीन को करते हुए वो दृश्य मेरे जेहन में कौंध रहे थे.
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यशराज बैनर की फ़िल्म मशाल में दिलीप कुमार के साथ वहीदा रहमान,अनिल कपूर, रति अग्निहोत्री और अमरीश पुरी की अहम भूमिका थी.