UPSC: हम अक्सर यूपीएससी उम्मीदवारों की सफलता की कहानियां सुनते हैं, जिन्होंने इस प्रतिष्ठित परीक्षा को पास करने के लिए सभी बाधाओं का सामना किया. आइए आज एक नजर डालते हैं लखनऊ की हर्षिता सिंह की सफलता की कहानी पर, जिन्होंने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPSC) की प्रांतीय सिविल सेवा-न्यायिक परीक्षा (पीसीएस-जे) में सफलता हासिल की. उन्होंने छठी रैंक हासिल की, वह भी पहले प्रयास में. उम्मीदवारों के लिए अपने पहले प्रयास में पीसीएस-जे पास करना आसान नहीं है. सही रणनीति और कड़ी मेहनत से कुछ भी संभव है.
यूनिवर्सिटी में जीतीं आठ स्वर्ण पदक
हर्षिता सिंह ने ईमानदार कोशिशों, बेहतरीन रणनीति और समर्पण के दम पर यह सफलता हासिल की है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर्षिता ने अपनी स्कूली शिक्षा लोरेटो कॉन्वेंट, लखनऊ से पूरी की है. इसके बाद उन्होंने पंजाब की नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल की। हर्षिता हमेशा यूनिवर्सिटी टॉपर रही हैं. उन्होंने यूनिवर्सिटी में आठ स्वर्ण पदक जीते थे.
हर्षिता का परिवार
हर्षिता के परिवार की बात करें तो उनकी मां एक गृहिणी होने के साथ-साथ एक सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं. उनके पिता, विनोद भाकुनी, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक थे. उन्हें शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार से सम्मानित किया गया. हर्षिता का एक भाई है जिसका नाम अभ्युदय है, जो अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है.
हर्षिता ने घर पर कैसे की परीक्षा की तैयारी
हर्षिता शुरू से ही पीसीएस-जे परीक्षा की तैयारी की रणनीतियों के बारे में बहुत स्पष्ट थी. कोचिंग सेंटर में दाखिला लेने के बजाय, उन्होंने अपनी रणनीति बनाई. वह हर दिन आठ से दस घंटे पढ़ाई करती थी. मेन्स की तैयारी के लिए वह रोजाना आधा घंटा लिखने की प्रैक्टिस करती थीं. मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि उत्तरों में कुछ मौजूदा विषयों के उदाहरण होने चाहिए जो उन्हें अधिक प्रासंगिक बनाते हैं.
क्यों छोड़ी 27 लाख रुपए की पैकेज
एलएलबी पूरी करने के बाद हर्षिता को दिल्ली की एक बड़ी लॉ फर्म से 27 लाख रुपये के पैकेज पर नौकरी का ऑफर मिला. उसने इसे स्वीकार कर लिया. कुछ समय तक काम करने के बाद उन्हें जल्द ही एहसास हुआ कि इससे उन्हें संतुष्टि नहीं मिल रही है. वह लोगों की मदद और सेवा करना चाहती थी, जो वह इस नौकरी में नहीं कर पा रही थी. भले ही वह महीने में 2 लाख रुपये से ज्यादा कमाती थीं, लेकिन उन्होंने इसे छोड़ने का फैसला किया. फिर अचानक एक दिन उसने सिविल जज भर्ती परीक्षा में बैठने का फैसला किया. सबसे पहले उनका चयन एमपी पीसीएस जे के लिए हुआ, जहां उनकी रैंकिंग 27वीं थी. वह यूपी में जज बनना चाहती थीं. इसलिए वह यूपीपीएससी पीसीएस-जे परीक्षा में शामिल हुईं और अपने पहले ही प्रयास में 6वीं रैंक के साथ सफल रहीं.
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