Aligarh : केंद्र सरकार द्वारा शत्रु संपत्तियों की नीलामी की प्रक्रिया पूरी पारदर्शी तरीके से आरंभ कर दी गई है. सरकार द्वारा ऐसी संपत्तियों की देशभर में एक सूची भी प्रकाशित की गई है. मुख्य पर्यवेक्षक ब्रिगेडियर अरविंदम ने जिलाधिकारी इन्द्र विक्रम सिंह एवं उप अभिरक्षक शत्रु संपत्ति को पत्र के माध्यम से अवगत कराया है कि तहसील अतरौली के कोरहा रघुपुरा में 3379000 (तैंतीस लाख उन्यासी हज़ार) लागत की खसरा नंबर 147 क्षेत्रफल 1.090 हेक्टेयर भूमि की नीलामी के लिए ऑनलाइन बोली 8 सितंबर को वेबसाइट htt://mstecommerce.com के माध्यम से की जाएगी. सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 1955 में इस संपत्ति के मालिक पाकिस्तान चले गए थे 2018 में संपत्ति शत्रु घोषित करते हुए इस पर सरकार का कब्जा है.
शत्रु संपत्ति की ऑनलाइन नीलामी के संबंध में अपर जिला अधिकारी प्रशासन पंकज कुमार ने बताया है कि जो भी व्यक्ति नीलामी में प्रतिभाग करना चाहता है, उसे ईएमडी राशि आरक्षित मूल्य का 10 प्रतिशत जमा करना होगा. ऑनलाइन नीलामी के संबंध में अन्य शर्ते व नियम को ऑनलाइन वेबसाइट पर देखा जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया है कि तहसील कोल में 5.357 क्षेत्रफल की एक संपत्ति एवं तहसील खैर में 0.994 हेक्टेयर की 10 शत्रु संपत्तियों को अवैध कब्जा मुक्त कराया गया है.
अलीगढ़ में कुल 48.34 हेक्टेयर शत्रु संपत्ति है. जिसमें तहसील खैर में सबसे ज्यादा 24 संपत्तियां शत्रु संपत्ति है. जिसका क्षेत्रफल 11.54 हेक्टेयर है. वही तहसील कोल में 17 संपत्तियां शत्रु संपत्ति है. जिसका क्षेत्रफल करीब 22.5 हेक्टेयर है. वही तहसील गभाना और अतरौली में भी शत्रु संपत्ति है. सबसे अधिक शत्रु संपत्ति उत्तर प्रदेश राज्य में पाई गई है. उत्तर प्रदेश में शत्रु संपत्तियों की कुल संख्या करीब 6255 है.
ऐसी चल-अचल संपत्तियां जो पाकिस्तान और चीन की नागरिकता लेने वाले लोगों की ओर से छोड़ी गई है, उन्हें शत्रु संपत्ति के तौर पर जाना पहचाना जाता है. ऐसी संपत्तियां शत्रु संपत्तियां कहलाती हैं.ऐसी संपत्ति को सीपीआई द्वारा ई नीलामी के माध्यम से या जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा बनाई गई शत्रु संपत्ति निपटा समिति द्वारा निर्धारित दर पर बेचा जाएगा. बीते दिनों गृह मंत्रालय ने 20 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में फैली शत्रु संपत्तियों का राष्ट्रीय सर्वेक्षण कराया था. इस सर्वेक्षण का उद्देश्य ऐसी सभी संपत्तियों की पहचान करना और बाद में उनका मुद्रीकरण करना था.