Varanasi News: वाराणसी एसटीएफ यूनिट के हाथ शनिवार देर रात बड़ी सफलता लगी. टीम ने सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह के सरगना सहित 3 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. एसटीएफ ने गिरफ्तार अभियुक्तों के पास से वन विभाग, स्वास्थ्य विभाग का स्टैम्प, पासबुक चेक समेत अन्य फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं. फिलहाल, अन्य दो लोगो की तलाश जारी है.
दरअसल, वाराणसी एसटीएफ यूनिट के प्रभारी पुनीत परिहार को सूचना मिली कि सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करने वाले गिरोह का सरगना अपने साथियों के साथ कैंट थाना क्षेत्र के एक नामी माल के पास मौजूद है. बिना किसी देरी के एसटीएफ यूनिट की टीम ने घेरा बंदी कर 3 लोगों को गिफ्तार कर लिया.
गिरफ्तार अभियुक्तों ने पूछताछ में पता चला कि स्वास्थ्य विभाग, रेलवे, पुलिस, खाद निगम (हरियाणा ,उत्तर प्रदेश और झारखंड) आदि के पदोंं पर नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी करते हैं. गिरोह का सरगना नीलेश सिंह, बलिया के भीमपुरा का रहने वाला है, जबकि प्रदीप सिंह, मऊ के मधुबन थान इलाके का रहने वाला है, और अजय प्रताप, चंदौली के सकडीहा का रहने वाला है. ये सभी सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी का काम 2019 से कर रहे हैं.
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गिरोह के सरगना ने बताया कि, वह लगातार सरकारी वेबसाइट पर नौकरी चेक किया करते थे, जिसके बाद गिरोह के सदस्य अजय और प्रदीप नौकरी दिलाने के नाम पर युवकों और युवती के परिजनों से सरगना की बातचीत कराते थे. नौकरी दिलाने की डील पक्की हो जाने पर सात – सात लाख रुपए ले लिया करते थे. आरोपी बदले में फर्जी नियुक्ति पत्र और पुलिस वेरिफिकेशन पत्र पोस्ट ऑफिस या स्वयं और साथियों की मदद से उनके पते पर भेजते थे.
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युवकों के पते पर नकली दस्तावेज मिलने के बाद गिरोह द्वारा फोन कर बताया जाता कि थाने जाकर आप लोग भेजे गए वेरिफिकेशन कागज को सत्यापित करा कर भेज दो. इस पर युवक या युवती के परिजनों को विश्वास हो जाता था कि नौकरी लग गई है. ठग अब तक इस तरह की करीब 20 से ज्यादा घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं, जिसके जरिए अब तक 70 लाख रुपए कमाए हैं. कमाए पैसे का इस्तेमाल जमीन खरीदने और गहने खरीदने में और दुकान खरीदने में किया गया. मामले में फिलहाल, झारखंड निवासी चंद्रभूषण यादव और महतो की तलाश जारी है.
रिपोर्ट- विपिन सिंह