Thursday Fasting Rules: हिंदू भक्तों का ऐसा मानना है कि भगवान चेतन और निर्जीव दोनों वस्तुओं में निवास करते हैं. इसलिए पत्थरों में देवताओं का आह्वान करने या प्रकृति की पूजा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. और ऐसी ही एक परंपरा है गुरुवार या बृहस्पतिवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करने की. जानिए केले के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है? गुरुवार व्रत के नियम क्या हैं? गुरुवार व्रत संपूर्ण पूजा विधि डिटेल में जानें.
गुरुवार को बृहस्पति ग्रह द्वारा शासित किया जाता है और यह दिन ब्रह्मांड की रक्षा करने वाले भगवान विष्णु को भी समर्पित है. इसलिए, भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और देवताओं के साथ-साथ केले के पेड़ की भी पूजा करते हैं, जिसे बृहस्पति देव का निवास कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि केले की जड़ में गुरुवार को जल डालने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है.
-
ब्रह्म मुहूर्त में उठें (सूर्योदय से लगभग दो घंटे पहले)
-
ब्रह्मचर्य बनाए रखें.
-
चावल, गेहूं, दाल, मांस, प्याज और लहसुन के सेवन से परहेज करें.
-
भगवान विष्णु का आह्वान करें और विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम जैसे मंत्रों और भजन का जाप करें.
-
अपने बालों को ट्रिम करने या अपनी दाढ़ी शेव करने से बचें.
-
अपने नाखून मत काटें.
-
घर या अन्य जगहों पर केले के पेड़ की पूजा करें.
-
मर्यादा बनाए रखें और अपनी वाणी, कर्म और कार्यों पर नजर रखें.
-
जरूरतमंद को अन्न दान करें.
केले के पेड़ को पृथ्वी पर भगवान बृहस्पति का निवास कहा जाता है. इसलिए माना जाता है कि केले के पेड़ की पूजा करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है.
धार्मिक मान्यता है कि जन्म कुंडली पर ग्रह दोष के बुरे प्रभावों को दूर करने में मदद मिलती है.
Also Read: Utpanna Ekadashi 2022 Date, Time: उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर को, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और नियम जानें
-
जब तक आप स्नान न करें तब तक न बोलें. यानी इस समय मौन व्रत का पालन करें.
-
केले के पेड़ पर जल चढ़ाएं (ध्यान रहे की केले का पेड़ आपके घर के बाहर हो)
-
केले के पेड़ की जड़ पर फूल चढ़ाएं.
-
केले के पेड़ को हल्दी का गाठ (हल्दी), चने की दाल और गुड़ चढ़ाएं.
-
अंत में अक्षत अर्पित करें और भगवान बृहस्पति को प्रणाम करते हुए परिक्रमा करें.
-
इस प्रकार केले के पेड़ की पूजा करके बृहस्पति देव को प्रसन्न किया जा सकता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.