बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगल व सीमावर्ती क्षेत्रों में 17 दिनों बाद भी आदमखोर बाघ वन विभाग की पकड़ से दूर है. पूरे दिन हरिहर पुर के जंगल के बीचों बीच पूरे दिन डेरा जमाए रहा. इधर, वन कर्मी बाघ के मूवमेंट पर नजर बनाये रहे. जैसे ही अंधेरा हुआ बाघ रघिया वन क्षेत्र के जंगलों में चला गया. इधर पीछे-पीछे वन विभाग की टीम लगी रही. लेकिन बाघ को अब तक सही से ट्रेस नहीं किया जा सका.
बाघ का ट्रेस नहीं मिलने पर वन विभाग के लोग राहत की सांस लेने लगे थे. अब ऐसा लगने लगा था कि बाघ रिहायशी क्षेत्र से दूर जा रहा है. लेकिन अचानक गुरुवार को दोपहर बाद बाघ फिर से चिउटाहा रेंज की तरफ चला आया. बाघ जिस मसान नदी के किनारे होते हुए रघिया वन क्षेत्र में गया था उसी नदी को पार कर हरिहरपुर के वन कक्ष संख्या के 55 में आकर डेरा जमा लिया है.
वन प्राणियों के विशेषज्ञों की मानें, तो बाघ किसी का शिकार करने के बाद कई दिनों तक उसके मांस को खाता है. शिकार करने के बाद वह आस-पास ही भटकता राहत है. फिर अगले दिन से उसे खाना शुरू करता है. ऐसे में बाघ का रेस्क्यू आसानी से किया जा सकता है. अब देखना यह है कि अगला शिकार बाघ कब करता है. फिर कब उसका रेस्क्यू किया जाता है.
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वाल्मीकि नगर टाइगर रिजर्व का यह आदमखोर बाघ बहुत ही खतरनाक है. इस बाघ ने बीते नौ महीने में सात लोगों को अपना शिकार बनाया है. इसमें से पांच लोगों की मौत हो चुकी है तो वहीं दो लोग अभी भी घायल अवस्था में जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रहे हैं.