आगरा: जिला अस्पताल में दवा के लिए दो घंटे लाइन में लगकर इंतजार कर रहे तीमारदार, गर्मी और भीड़ से हाल बेहाल

आगरा जिला अस्पताल में दवा लेने के लिए काफी देर तक तीमारदार और मरीज परेशान दिखाई दिए. भीषण गर्मी और भारी भीड़ के चलते पसीने से लोगों का बुरा हाल है. दवा वितरण कक्ष में लगे हुए पंखे भी फेल दिखे.

By Prabhat Khabar News Desk | July 3, 2023 5:10 PM

Agra : जिला अस्पताल में दवा लेने के लिए काफी देर तक तीमारदार और मरीज परेशान दिखाई दिए. भीषण गर्मी और भारी भीड़ के चलते दवा वितरण कक्ष में लगे हुए पंखे भी फेल हो गए. पसीने से लोगों का बुरा हाल था. महिलाओं और पुरुषों के हाथ में जो दवा के पर्चे थे. उसे पंखा बनाकर हवा करने में लगे हुए थे.

वहीं दूसरी तरफ महिलाओं ने आरोप लगाया कि दवा काउंटर की एक लाइन को अनावश्यक रूप से बंद कर दिया गया है. जिसकी वजह से यहां लाइन में खड़े हुए करीब डेढ़ से 2 घंटे हो चुके हैं. लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हो रही. लाइन में लगी महिलाएं सरकारी तंत्र को भी कोसती नजर आईं. हालाकि शिकायत करने पर बंद काउंटर को फिर से चालू कर दिया गया.

जिला अस्पताल में प्रशासनिक व्यवस्थाएं फेल

आगरा के जिला अस्पताल में रोजाना सैकड़ों की संख्या में तीमारदार दवा लेने के लिए आते हैं लेकिन जिला अस्पताल की प्रशासनिक व्यवस्थाएं इस कदर फेल हो चुकी है कि महिलाओं को दो-दो घंटे दवा के लिए लाइन में लगना पड़ता है. ऊपर से भीषण गर्मी के प्रकोप की वजह से दवा वितरण कक्ष में लगे पंखे भी तीमारदारों को ठंडक का अहसास नहीं दिला पा रहे.

मलपुरा से दवा लेने आई संगीता नाम की महिला ने बताया कि महिलाओं के काउंटर पर 3 लाइन लगी हुई है तीनों काउंटर पहले चालू थे लेकिन करीब 1 घंटे से एक काउंटर को बंद कर दिया गया है. ऐसे में हम 2 घंटे से दवाई लेने के इंतजार में लाइन में खड़े हैं. काउंटर बंद होने का कारण भी पूछा लेकिन कोई भी जवाब नहीं मिल रहा.

शाहगंज से अपने बच्चे के लिए दवा लेने आए तीमारदार रीना ने बताया कि डेढ़ घंटे से हम लाइन में खड़े हैं कभी काउंटर बंद हो जाता है तो कभी चालू हो जाता है. पता नहीं क्या हो रहा है. भीषण गर्मी के चलते हॉल में लगे हुए पंखे भी फेल हो गए हैं. डॉक्टरों की लापरवाही का दंश हमें झेलना पड़ रहा है. जिला अस्पताल के डायग्नोस्टिक सेंटर के सामने बाहर से आने वाले किसी भी गंभीर मरीज के लिए स्ट्रेचर की व्यवस्था की जानी होती है. जिससे कि गंभीर मरीज के आते ही उसे स्ट्रेचर पर लिटा कर संबंधित विभाग में पहुंचाया जा सके. लेकिन यथास्थिति को पड़ताल में ना तो वहां स्ट्रेचर ही मौजूद है और ना ही कोई स्वास्थ्य कर्मी. जबकि उस स्थान पर दो पहिया वाहनों को पार्क कर रखा है.

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