Bengal Election 2021: दिन गुजरने के साथ पश्चिम बंगाल का सियासी संग्राम तेज होता जा रहा है. आरोपों के तीर तीखे हो गए हैं. इसी बीच सबसे बड़ी खबर सीएम ममता बनर्जी को लेकर सामने आई है. ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की नंदीग्राम सीट से चुनाव लड़ेंगी. शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ममता बनर्जी ने ऐलान किया कि वो नंदीग्राम से ही चुनाव लडे़ंगी. इस दौरान सीएम ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की कुल 294 में से 291 सीटों के लिए दूसरे प्रत्याशियों के नामों का भी ऐलान किया. प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सीएम ममता बनर्जी से 7 मार्च की रैली और चुनाव को लेकर भी सवाल पूछे गए.
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बंगाल विधानसभा चुनाव के लिए टीएमसी ने 291 सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया है. दूसरी तरफ 7 मार्च को कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में पीएम नरेंद्र मोदी की रैली है. इस रैली के लिए बीजेपी ने पूरी ताकत लगा दी है. वहीं, प्रत्याशियों के ऐलान के साथ ही 7 मार्च को सिलीगुड़ी में ममता बनर्जी के रोड शो पर भी नजरें हैं. 8 मार्च को महिला दिवस के मौके पर भी कोलकाता में टीएमसी की रैली किए जाने की खबरें भी हैं. इस रैली में सिर्फ महिलाओं को शामिल करने की बातें हो रही है.
महिला दिवस के मौके पर टीएमसी की रैली कहीं ना कहीं बंगाल जीतने को बेताब बीजेपी की बेचैनी बढ़ाने वाली हो सकती है. अगर महिला दिवस और ममता बनर्जी की बात करें तो वो सही मायनों में महिला सशक्तीकरण की मिसाल हैं. अपने विद्रोही और जिद्दी स्वभाव के चलते ममता बनर्जी ने बंगाल से लेकर देश की राजनीति में नया मुकाम हासिल किया है. 1984 का साल ममता बनर्जी के करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट बना. 1984 के लोकसभा चुनाव में ममता बनर्जी ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर सीपीएस के दिग्गज नेता और लोकसभा के पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी को हराकर इतिहास बना दिया.
1989 में चुनाव हारने वालीं ममता बनर्जी 1991 में दोबारा लोकसभा पहुंचीं. युवा कल्याण और खेल मंत्रालय का जिम्मा संभालने वाली ममता ने नवंबर 1992 में कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में रैली की और इस्तीफे का ऐलान कर डाला. कांग्रेस से बढ़ती दूरी के बीच ममता बनर्जी ने 1998 में तृणमूल कांग्रेस का गठन कर दिया. 1998 से 2001 तक ममता बनर्जी एनडीए में बनी रहीं. तहलका कांड के बाद एनडीए से इस्तीफा देकर ममता बनर्जी ने कांग्रेस से दोस्ती की. कांग्रेस के साथ ममता के रिश्ते बनते-बिगड़ते रहे.
साल 2004 के लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन करने वाली टीएमसी की सुप्रीमो ममता बनर्जी ने सिंगुर और नंदीग्राम में किसानों के जमीन अधिग्रहण के खिलाफ लड़ाई लड़ी. इस लड़ाई का फायदा 2009 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला. लोकसभा चुनाव में टीएमसी को कुल 42 में से 19 सीटें मिली. यूपीए-2 की सरकार में रेल मंत्री बनने वाली ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के लिए कई योजनाओं का ऐलान कर डाला. केंद्र सरकार में मंत्री रहते हुए भी ममता बनर्जी बंगाल में परिवर्तन का नारा देती रहीं.
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2011 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने टीएमसी ने पश्चिम बंगाल के कुल 294 सीटों में से 184 पर जीत दर्ज की. इसके बाद सीएम ममता बनर्जी ने बंगाल का रूख किया. वो तीन दशकों से ज्यादा समय तक बंगाल की सत्ता पर काबिज वाम दलों को हराकर सीएम बनीं थी. साल 2016 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी की पार्टी ने 211 सीटों पर जीत हासिल की. इस बार टीएमसी सभी सीटों पर जीत के दावे कर रही है. अब देखना है ममता बनर्जी के चेहरे पर वोटर्स कितना भरोसा करते हैं.