पूर्वोत्तर भारत की आर्थिक राजधानी के जोड़ासांको विधानसभा सीट पर तृणमूल और भाजपा में प्रतिष्ठा की लड़ाई
जोड़ासांको विधानसभा सीट: विधानसभा चुनाव में यह सीट कई मायनों में खास है. हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान यह सीट पारंपरिक तौर पर बख्शी परिवार की सीट बन गयी थी. संजय बख्शी के बाद स्मिता बख्शी इस सीट से जीतती रही हैं. लेकिन इस बार तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया है.
कोलकाता : हिंदीभाषी मतदाताओं के लिए अहम मानी जानेवाली जोड़ासांको विधानसभा सीट पर इस बार प्रतिष्ठा की लड़ाई होगी. पूर्वोत्तर भारत की आर्थिक राजधानी कहे जानेवाले बड़ाबाजार इलाके की जोड़ासांको सीट पर लोगों की निगाहें रहेंगी. फिलहाल तृणमूल कांग्रेस ने इस सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. लेकिन संयुक्त मोर्चा और भाजपा की ओर से अभी तक उम्मीदवार का चयन नहीं हुआ है.
इस बार के विधानसभा चुनाव में यह सीट कई मायनों में खास है. हाल के विधानसभा चुनावों के दौरान यह सीट पारंपरिक तौर पर बख्शी परिवार की सीट बन गयी थी. संजय बख्शी के बाद स्मिता बख्शी इस सीट से जीतती रही हैं. लेकिन इस बार तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो व मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया है.
ममता बनर्जी ने यहां से पत्रकार व तृणमूल कांग्रेस हिंदी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष विवेक गुप्त को उम्मीदवार बनाकर हिंदीभाषी मतदाताओं को साधने की जिम्मेवारी दी है. वहीं, पार्टी के इस निर्णय का विरोध करते हुए पूर्व विधायक व उद्योगपति दिनेश बजाज ने तृणमूल कांग्रेस से नाता तोड़ लिया है.
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उधर, भाजपा यहां से कई नामों पर विचार कर रही है. सूत्रों के मुताबिक इसमें सबसे आगे विजय ओझा का नाम चल रहा है. हालांकि राजनीतिक गलियारों में राहुल सिन्हा के नाम की भी चर्चा चल रही है. लेकिन भाजपा ने अभी तक पत्ते नहीं खोले हैं.
बताया जाता है कि संयुक्त मोर्चा की ओर से युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष शादाब खान भी यहां से उम्मीदवार बनना चाहते हैं. इसके लिए वह दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं. कुल मिलाकर जोड़ासांको सीट इस बार सभी पार्टियों की प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गयी है, क्योंकि जहां तृणमूल कांग्रेस के लिए फिर से जीत दर्ज करने की कड़ी चुनौती होगी, तो वहीं भाजपा और संयुक्त मोर्चा इस सीट पर जीत दर्ज करने की हरसंभव कोशिश करेगी.
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Posted By : Mithilesh Jha