कोलकाता. केंद्र ने राज्य सरकार का बकाया रोक रखा है, जिसकी वजह से इतनी समस्याएं हो रही हैं. यही वजह है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता या डीए भी रुका हुआ है, जबकि डीए की मांग पर राज्य सरकार के कर्मचारी लगातार आंदोलन कर रहे हैं. इस स्थिति के लिए तृणमूल कांग्रेस के प्रवक्ता कुणाल घोष ने केंद्र को जिम्मेवार ठहराया है. राज्य सरकार के कर्मचारियों का लंबे समय से डीए बकाया है. वे भुगतान की मांग को लेकर कोर्ट गये हैं और पिछले आठ दिनों से हड़ताल पर हैं. लेकिन बकाया का भुगतान अभी तक नहीं किया गया.
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि राज्य सरकार के कर्मचारियों का बकाया कब तक चुकाया जायेगा. इस बीच, तृणमूल प्रदेश महासचिव कुणाल घोष ने कहा सभी को विरोध करने का अधिकार है. जो लोग आंदोलन कर रहे हैं, उन्हें भी इस बारे में सोचना चाहिए कि केंद्र, राज्य सरकार का जो पैसा बकाया रखे हुए है, उससे स्थिति गंभीर हुई है.
उल्लेखनीय है कि शहीद मीनार मैदान में पिछले आठ दिनों से सरकारी कर्मचारियों और पेंशनधारकों के 28 संगठनों के संयुक्त मंच के सदस्य धरने पर बैठे हैं. उनकी मांग है कि राज्य सरकार बकाया 35 फीसदी डीए का तत्काल निबटारा करे. मांग पूरी न होने पर उन्होंने वृहद आंदोलन करने की धमकी दे रहे हैं.
गौरतलब है कि कंफेडरेशन ऑफ स्टेट गवर्नमेंट इम्प्लाइज ने वर्ष 2016 में राज्य सरकार के कर्मचारियों को देय महंगाई भत्ते की मांग को लेकर केस दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों को 34 फीसदी की दर से डीए मिलता है. लेकिन राज्य सरकार के कर्मचारी इससे वंचित हैं. इस पर राज्य सरकार ने डीए तो बढ़ा दिया है, लेकिन राज्य के कर्मचारियों को यह केंद्र से 31 फीसदी कम मिलता है. कलकत्ता हाइकोर्ट ने मामले को देखते हुए सैट के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन उस फैसले के बाद भी कर्मचारियों को डीए नहीं मिला.
फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी है. हालांकि जस्टिस दीपांकर दत्ता ने खुद को इस मामले से अलग कर लिया है. मामले की अगली सुनवाई 15 मार्च को होगी.