नववर्ष में तृणमूल का लक्ष्य I.N.D.I.A. में अहम भूमिका हासिल करना

अल्पसंख्यक बहुल सागरदीघी सीट कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन से हारने, विभिन्न चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारण तृणमूल ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया. सागरदीघी सीट पर हार के बाद तृणमूल ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के प्रयास किये.

By Prabhat Khabar News Desk | December 31, 2023 12:00 PM

राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खोने के बावजूद राज्य की राजनीति में तृणमूल कांग्रेस का दबदबा कायम रहा. तृणमूल हिंसात्मक घटनाओं के बीच हुए पंचायत चुनावों में जीत से काफी उत्साहित है और इसका अगला लक्ष्य 2024 के लोकसभा से पहले राष्ट्रीय विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है. दूसरी ओर, 2023 में बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को नेताओं के पार्टी छोड़ने और चुनावी झटकों का सामना करना पड़ा. पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने ममता बनर्जी सरकार पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उसे घेरने की कोशिश की. तृणमूल कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने राजनीतिक प्रभुत्व को बरकरार रखना चाहती है और इसलिए संसदीय चुनाव से पहले एक मजबूत विपक्ष बनाने में सक्रिय योगदान दे रही है. इसके समानांतर, भाजपा ग्रामीण इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कवायद में लगी हुई है. हाल के वर्षों में भाजपा के हाथों मुख्य विपक्षी दल का दर्जा खोनेवाली मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेतृत्ववाले वाममोर्चा ने उपचुनावों और पंचायत चुनावों में अपनी स्थिति में सुधार किया है.

अल्पसंख्यक बहुल सागरदीघी सीट कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन से हारने, विभिन्न चुनावों में खराब प्रदर्शन के कारण तृणमूल ने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा खो दिया. सागरदीघी सीट पर हार के बाद तृणमूल ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ को मजबूत करने के प्रयास किये, जिसके तहत पार्टी में महत्वपूर्ण संगठनात्मक पुनर्गठन किया गया और इसने कांग्रेस के एक विधायक को भी अपने खेमे में शामिल कर लिया. कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो’ यात्रा के मुकाबले में तृणमूल ने एक जनसंपर्क अभियान ‘तृणमूल ए नबाजोवार’ (तृणमूल में नयी लहर) शुरू किया. तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे और पार्टी में नंबर दो माने जानेवाले अभिषेक बनर्जी ने इसका नेतृत्व किया.

तृणमूल ने अपने अभियान की बदौलत राज्य के पंचायत चुनावों में जीत हासिल की. इसने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जिला परिषद की 928 में से 880 सीट जीतीं, जबकि भाजपा ने 31, कांग्रेस-वाम मोर्चा गठबंधन ने 15 और शेष दो सीट अन्य ने जीतीं. केंद्र द्वारा मनरेगा योजना का बकाया रोका जाना, राज्य में एक प्रमुख राजनीतिक मुद्दा बन गया. अभिषेक बनर्जी ने तृणमूल विधायकों, सांसदों, मंत्रियों और मनरेगा कार्यकर्ताओं के साथ नयी दिल्ली में जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसके बाद राजभवन के बाहर पांच दिनों तक धरना भी दिया.

नववर्ष में प्रवेश करने के साथ ही तृणमूल का लक्ष्य 2019 में भाजपा के खाते में गयीं लोकसभा सीटों को फिर से हासिल करना, राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करना और अगर लोकसभा चुनाव में भाजपा बहुमत हासिल नहीं कर पाती है, तो विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है. साल खत्म होते ही राजीव कुमार को नया पुलिस महानिदेशक नियुक्त किया गया. यह वही अधिकारी हैं, जिनके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 2019 में सारधा चिटफंड मामले में पूछताछ की सीबीआइ की कोशिश के खिलाफ धरना दिया था.

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भाजपा को वापसी की उम्मीद

राज्य की 42 लोकसभा सीट में से 35 पर जीत का लक्ष्य रखते हुए भाजपा ने तृणमूल को घेरने और चुनौती देने के नये प्रयास शुरू किये हैं. वर्ष 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से भाजपा में संगठनात्मक सुधार की कोशिश के बीच आंतरिक विद्रोह और आपसी बयानबाजी हावी रही. धुपगुड़ी विधानसभा उपचुनाव में भाजपा तृणमूल से हार गयी, लेकिन दूसरा स्थान बरकरार रखा.

राज्यपाल व राज्य सरकार में तकरार

इस साल भी प्रशासनिक मोर्चे पर राज्यपाल सीवी आनंद बोस और तृणमूल सरकार के बीच टकराव की खबरें आती रहीं. विश्वविद्यालय में कुलपतियों की नियुक्ति, राज्य के स्थापना दिवस, केंद्र द्वारा मनरेगा का बकाया रोके जाने और पंचायत चुनाव में हिंसा जैसे मुद्दों पर टकराव देखा गया.

जांच एजेंसियों ने तृणमूल की बढ़ायीं मुसीबतें

तृणमूल नेतृत्व को कथित ‘घोटालों’ में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) और प्रवर्तन निदेशालय (इडी) की जांच के साथ-साथ कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. राशन वितरण घोटाले में मंत्री व तृणमूल के वरिष्ठ नेता ज्योतिप्रिय मलिक की गिरफ्तारी ने पार्टी की मुश्किलें बढ़ा दीं.

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यूनेस्को की धरोहर सूची में शांतिनिकेतन भी

शांतिनिकेतन को सितंबर में यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया. यह वही जगह है, जहां नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने एक सदी पहले विश्वभारती की स्थापना की थी.

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