गोड्डा शहर को ODF बनाने के लिए शौचालय का हुआ निर्माण, देखरेख के अभाव में हुआ बेकार, कौन है जिम्मेवार?

गोड्डा शहर को ODF करने के उद्देश्य से जगह-जगह शौचालय का निर्माण किया गया था, लेकिन देखरेख के अभाव में शौचालय का हाल बेहाल हो गया है. लाखों खर्च कर नगर परिषद द्वारा बनाये गये शौचालय का सही उपयोग नहीं हो रहा है. कहीं पानी, तो कहीं लाइट की व्यवस्था नहीं. देखरेख के अभाव में शौचालय बंद रहते हैं.

By Samir Ranjan | September 16, 2022 5:54 PM
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Common Man Issues: गोड्डा नगर परिषद की ओर से बनाये गये लाखों के शौचालय का उपयोग नहीं हो पा रहा है. इसको लेकर स्थानीय लोग सवाल उठा रहे हैं. नगर परिषद की ओर से पूरे शहरी क्षेत्र में जगह-जगह शौचालय का निर्माण पांच वर्ष पूर्व किया गया था. शौचालय की पूरे शहर में क्या स्थिति है यह किसी से छिपी नहीं है. अनुपयोगी जगह पर बनने के कारण इसका उपयोग नहीं हो पा रहा है. बनने के बाद या तो शौचालय के गेट उखड़ गये या फिर खिड़की का गायब कर दिया है. कुछ जगहों के शौचालयों को उपयोग के लायक बनाया गया है. इसमें सदर अस्पताल के सामने बना शौचालय तथा गांधी मैदान के समीप का शौचालय. बाकी जगहों पर बने शौचालय की अब कोई उपयोगिता नहीं रह गयी है. यह सिर्फ दिखावे के लिए रह गया है. इससे यदि किसी का भला हुआ तो वह विभाग व संंबंधित ठेकेदार का. देखरेख के अभाव में शौचालय बंद रहते हैं. पानी आदि के अभाव में किसी भी काम का नहीं रहा. 

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अधिकांश शौचालय का नहीं होता है उपयोग

मालूम हो कि शहर को ओडीएफ करने के उद्देश्य से पूरे शहर में जगह-जगह शौचालय का निर्माण किया गया था. इसको लेकर ही शहर के तकरीबन सभी सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय का निर्माण कराया गया था. यूरिनल आदि का भी निर्माण कराया गया था. पर हश्र अब सबके सामने हैं. कुछेक स्थानों को छोड़कर शौचालय किसी काम का नहीं है. कारण कि केवल शौचालय का भवन बना दिया गया है. देखरेख के लिये किसी को नहीं रखा गया. जैसे-तैसे शौचालय बना कर छोड़ दिया गया . बिजली आदि की भी व्यवस्था नहीं की गयी. ऐसे में शौचालय में पानी आदि की समस्या गहरा गयी. और कुछ दिन के बाद तो शौचालय ने काम करना ही बंद कर दिया. ऐसे में शौचालयों मे ताला लटका दिया गया है. क्योंकि अब इसकी उपयोगिता नहीं रह गयी है.  ऐसे में शहरवासी योजना की उपयोगिता पर सवाल उठा रहे हैं. बताया कि अगर रख-रखाव की व्यवस्था नहीं थी. तो फिर लाखों रुपये खर्च करने का क्या फायदा है. शहरवासियों ने नगर परिषद प्रबंधन से जल्द पहल कर शौचालय को चालू कराने की मांग की है.

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केस स्टडी-एक
मूलर्स टैंक : शौचालय के चारों ओर लगता है नशेड़ियों का जमावड़ा 

शौचालय का हाल किसी से छिपा नहीं है. मूलर्स टैंक के उत्तर की ओर बने शौचालय का हाल बेहाल है. इस शौचालय को तकरीबन  33 लाख की लागत से बनाया गया था.  लेकिन अब तक इसको प्रयोग में नहीं लाया जा सका है. जानकार सूत्रों के अनुसार 33 लाख की लागत से बने इस शौचालय को  कायदे से 33 दिन भी उपयोग में नहीं लाया जा सका. शौचालय का ताला बंद रहता है तथा अब शौचालय के चारों ओर से लंबी लंबी झाडियां ऊग गयी है. यहां नशेड़ियों का अड्डा बन गया है. देखरेख तथा मरम्मत के अभाव में शौचालय का भवन भी कमजोर पड़ने लगेगा. गिरने की कगार पर है.

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केस स्टडी-दो
समाहरणालय परिसर : पानी के अभाव में नहीं होता उपयोग, लटका है ताला

शहरी क्षेत्र में वर्ष 2016-17 में बनाये गये मॉडल शौचालय भी अब किसी काम का नहीं रहा. यह भी केवल दिखावे के लिये है. शौचालय के छत पर लगाया गया पानी का टंकी किसी काम का नही है. पानी के अभाव में बनाये गये सभी शौचालय बंद है. एक शौचालय की लागत तकरीबन 1.50 लाख रुपये थी. रांची से बने मॉडल के आधार पर इसका निर्माण किया गया था. अब स्थिति यह है कि शौचालय के छत पर अवस्थित पानी का टंकी आंधी तूफान में उड़ गया है. जो अब किसी काम का नही रहा. यह प्रयोग में भी आना बंद हो गया है. 

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केस स्टडी-तीन
समाज कल्याण भवन :  माॅडल शौचालय पड़ा है बेकार

कमोबेश यही हाल समाज कल्याण से बने शौचालय का है. वह भी अब किसी काम का नहीं रहा. शौचालय में पानी के अभाव में ही काम करना बंद हो गया है. दूसरा शौाचालय का निर्माण भी काफी अंदर प्रवेश करा कर किया गया था. यह अब किसी के काम का नहीं है. शौचालय का गेट आदि भी टूटने के कगार पर है. 

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केस स्टडी-चार
महिला काॅलेज : पानी के अभाव में नहीं हो रहा उपयोग

वही हाल कमोबेश महिला काॅलेज से बने शौचालय का भी है. वहां भी पानी आदि के अभाव में शौचालय का उपयोग नहीं हो पा रहा है. देखरेख के अभाव में बदहाली का शिकार हो रहा है. मुख्य समस्या पानी की है. पानी नहीं मिलने के बाद शौचालय की हालत दिनों-दिन खराब हो गयी. अब यह भी किसी के काम का नहीं रहा. अब तो इसकी दे खरेख भी नही होती है. पहले इस शौचालय में नगर परिषद के  टैंकर के माध्यम से पानी भरा जाता था. पर अब ऐसा नहीं रहा. कुछ दिनों में यह टूटने के कगार पर हो जायेगा. 

केस स्टडी- पांच
गांधी मैदान : मॉडल शौचालय किसी काम के लायक नहीं

इसके अलावा गांधी मैदान के पूर्वी छोर पर बना मॉडल शौचालय भी किसी का काम नहीं है. हो भी कैसे. पानी के अभाव का रोना यहां भी है. कुछ दिन तो दिखावे के लिये शौचालय के टंकी में पानी डाला गया. पर कुछ ही दिन बाद पानी को डालने की प्रक्रिया बंद कर दी गयी. ऐसे में शौचालय  भी भगवान भरोसे ही रह गया. देखने लायक तक नहीं बचा. अब तो वर्षों से शौचालय का गेट बंद है तथा किसी का काम नहीं है.

शहर में सभी शौचालय को चालू किया जाएगा : सिटी मैनेजर

इस संबंध में सिटी मैनेजर मुर्तजा अंसारी ने कहा कि शौचालय रख-रखाव के अभाव में बेकार हो गये हैं. बैठक में निर्णय लिया गया है. शहर में सभी शौचालय को चालू किया जायेगा. कहीं पानी तो कहीं लाइट के अभाव में शौचालय बंद हैं. सभी शौचालयों को एक माह के अंदर चालू किया जायेगा. केयर टेकर को रखा जायेगा. मेंटनेंस के रूप में कुछ पैसे लिये जायेंगे, ताकी समय-समय पर इसका मेंटनेंस कार्य कराया जा सके. 

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