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Tokyo Olympic: मैराथन का बादशाह जो नंगे पैर रेस पूरी करके बना चैंपियन, एक हादसे ने बदल दी जिंदगी

Tokyo Olympic: दुनिया को चौंकाते हुए बिकिला ने 2:15.16 घंटे के रिकॉर्ड समय के साथ दौड़ पूरी की और आठ सेकेंड के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ दिया और पहली बार कोई अफ्रीकी देश स्वर्ण विजेता बना.

By Prabhat Khabar News Desk | June 26, 2021 2:23 PM

Tokyo Olympic: 1960 के रोम ओलिंपिक में पूर्वी अफ्रीकी देश इथियोपिया अचानक चर्चा में आ जाता है. वहां के एथलीट ने देश को पहली बार ओलिंपिक में स्वर्ण पदक दिलवाया. वास्तव में 1960 तक एक पूर्वी अफ्रीकी राष्ट्र के किसी भी एथलीट ने स्वर्ण नहीं जीता था. ऐसे में इथियोपिया की सेना का सैनिक अबेबे बिकिला मैराथन में देश के लिए स्वर्ण पदक हासिल करता है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि बिकिला ने यह स्वर्ण ‘नंगे पांव¹’ मैराथन दौड़कर जीता था.

बिकिला के नंगे पांव दौड़ने की दास्तान भी कुछ अजीब है. दरअसल बिकिला ने उस साल रोम में मैराथन के लिए नये ‘रनिंग शूज’ खरीदे थे, लेकिन उन्हें पहनने के बाद उनके पैरों में छाले पड़ गये. बावजूद इसके उन्होंने दौड़ने का फैसला किया. वह इटली की राजधानी में 26.2 मील के कोर्स में नंगे पैर दौड़ने के लिए प्रसिद्ध थे. रात में दौड़ शुरू हुई.

इटली के सशस्त्र बलों के सदस्य सड़कों के किनारे मशालें जलाकर खड़े थे. सड़क के किनारे लोग शोर मचा रहे थे. ऐसे मेें पूरी दुनिया को चौंकाते हुए बिकिला ने 2:15.16 घंटे के रिकॉर्ड समय के साथ दौड़ पूरी की और आठ सेकेंड के विश्व रिकॉर्ड को तोड़ दिया और पहली बार कोई अफ्रीकी देश स्वर्ण विजेता बना. इसके बाद 1964 में तोक्यो में बिकिला ओलिंपिक मैराथन खिताब का सफलतापूर्वक बचाव करनेवाले पहले एथलीट बने.

‘नंगे राजा’ के नाम से हुए मशहूर

1960 के रोम ओलिंपिक में 2 घंटे 15 मिनट 16 सेकेंड के रिकॉर्ड के बाद 1964 के तोक्यो ओलिंपिक में 2 घंटे 12 मिनट और 11 सेकेंड के साथ नया विश्व रिकॉर्ड बनानेवाले बिकिला हर समय ‘नंगे पांव’ दौड़ते थे, इसलिए लोग उन्हें ‘नंगे राजा’ के नाम से पुकारने लगे थे. लेकिन मार्च 1969 में हुई कार दुर्घटना ने उन्हें व्हीलचेयर पर रहने को मजबूर कर दिया.

बिकिला ने कुल 16 मैराथन में हिस्सा लिया और 12 में जीत हासिल की. 1963 के बोस्टन मैराथन में वह पांचवें नंबर पर रहे. जुलाई 1967 में पैरों की चोट के कारण वह तीन में से दो मैराथन की दौड़ पूरी नहीं कर सके. 22 मार्च 1969 को एक कार दुर्घटना में बिकिला का लकवा मार गया. इसके बाद वह कभी नहीं चल सके. 41 साल की उम्र में बिकिला का निधन चार साल पहले हुई दुर्घटना से संबंधित मस्तिष्क रक्तस्राव के कारण हो गया. पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया. – सुनील कुमार

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