टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics 2020) से एक बहुत ही अच्छी खबर निकलकर सामने आ रही है. एक 58 साल के एथलीट ने उम्र को महज एक संख्या साबित करते हुए मेडल जीतकर सबको चौका दिया है. जिस उम्र में लोग अक्सर रिटायर्ड हो जाते हैं, उस उम्र में ओलंपिक मेडल जीतना कोई आसान बात नहीं है.
दरअसल कुवैत के अब्दुल्ला अलरशीदी ने टोक्यो ओलंपिक निशानेबाजी में कांस्य पदक जीतकर दुनिया को दिखा दिया कि उनके लिये उम्र महज एक आंकड़ा है. सात बार के ओलंपियन ने सोमवार को पुरूषों की स्कीट स्पर्धा में कांस्य पदक जीता. यही नहीं पदक जीतने के बाद उन्होंने 2024 में पेरिस ओलंपिक में स्वर्ण पर निशाना लगाने का भी वादा किया जब वह 60 पार हो चुके होंगे.
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उन्होंने असाका निशानेबाजी रेंज पर ओलंपिक सूचना सेवा से कहा , मैं 58 बरस का हूं. सबसे बूढा निशानेबाज और यह कांस्य मेरे लिये सोने से कम नहीं. मैं इस पदक से बहुत खुश हूं लेकिन उम्मीद है कि अगले ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतूंगा, पेरिस में.
उन्होंने कहा , मैं बदकिस्मत हूं कि स्वर्ण नहीं जीत सका लेकिन कांस्य से भी खुश हूं. ईंशाअल्लाह अगले ओलंपिक में , पेरिस में 2024 में स्वर्ण पदक जीतूंगा. मैं उस समय 61 साल का हो जाऊंगा और स्कीट के साथ ट्रैप में भी उतरूंगा.
मालूम हो अलरशीदी ने पहली बार 1996 अटलांटा ओलंपिक में भाग लिया था. उन्होंने रियो ओलंपिक 2016 में भी कांस्य पदक जीता था लेकिन उस समय स्वतंत्र खिलाड़ी के तौर पर उतरे थे. कुवैत पर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने प्रतिबंध लगा रखा था. उस समय अल रशीदी आर्सन्ल फुटबॉल क्लब की जर्सी पहनकर आये थे. यहां कुवैत के लिये खेलते हुए पदक जीतने के बारे में उन्होंने कहा , रियो में पदक से मैं खुश था लेकिन कुवैत का ध्वज नहीं होने से दुखी था.