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2008 में विजेंदर ने देश के लिए कांस्य पदक जीता
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2012 में मैरीकॉम ने कांस्य जीतकर इतिहास रचा
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2008 बीजिंग ओलिंपिक और 2012 लंदन ओलिंपिक के क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे
Tokyo Olympics 2020 : स्टार मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने बीजिंग ओलिंपिक में कांस्य पदक जीतकर भारतीय मुक्केबाजी को एक नयी दिशा दी जिसे एम सी मैरीकॉम ने आगे बढ़ाया और इस बार तोक्यो ओलिंपिक जा रहे नौ सदस्यीय भारतीय मुक्केबाजी दल से पदकों की संख्या में इजाफा करने की उम्मीद होगी. ओलिंपिक मुक्केबाजी में भारत के नाम सिर्फ दो कांस्य पदक हैं, जिसमें विजेंदर ने 2008 बीजिंग की मिडिलवेट 75 किग्रा स्पर्धा में देश को पहला पदक दिलाकर इतिहास रचा था और फिर छह बार की विश्व चैंपियन मैरीकॉम 2012 लंदन में पदक जीतनेवाली पहली महिला मुक्केबाज बनीं. कोविड-19 के कारण एक क्वालीफायर रद्द होने के बावजूद नौ मुक्केबाज इस बार तोक्यो का टिकट कटाने में सफल रहे और पहली बार इतना बड़ा मुक्केबाजी दल ओलिंपिक के लिए जायेगा.
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भारतीय दल में अमित पंघाल (52 किग्रा), मनीष कौशिक (63 किग्रा), विकास कृष्ण (69 किग्रा), आशीष कुमार (75 किग्रा) और सतीश कुमार (91 किग्रा), मैरीकॉम (51 किग्रा), सिमरनजीत कौर (60 किग्रा), लवलीना बोरगोहेन (69 किग्रा) और पूजा रानी (75 किग्रा) शामिल हैं. इसमें विकास और मैरीकॉम को पहले भी ओलिंपिक का अनुभव है. लेकिन बाकी अन्य पहली बार खेलों के महासमर में खेलेंगे। मैरीकॉम (38 वर्ष) ने पिछले 20 वर्षों के करियर में विश्व चैंपियनशिप में आठ पदक (छह स्वर्ण, एक रजत और एक कांस्य) अपने नाम किये हैं. मणिपुर की यह स्टार अपने अंतिम ओलिंपिक में अपने पदक का रंग बदलने की कोशिश में होंगी जो 2016 रियो ओलिंपिक में क्वालीफाई नहीं कर पायी थीं.
1948-पहली बार लंदन ओलिंपिक में भारतीय मुक्केबाज हुए थे शामिल
1952-हेलसिंकी ओलिंपिक में शामिल हुए थे मुक्केबाज
1972-एकमात्र मुक्केबाज चंदन नारायण खेले थे
2000-सिडनी ओलिंपिक में गुरचरण सिंह लाइट वेट में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे
2008-बीजिंग ओलिंपिक में विजेंदर ने कांस्य पदक जीता
2012-लंदन ओलिंपिक में मैरीकॉम ने जीता था कांस्य पदक