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Tokyo Olympics 2020 : भारतीय तैराक पदक तो दूर, सेमीफाइनल खेलकर भी रचेंगे इतिहास, ऐसा रहा ओलंपिक में प्रदर्शन

Tokyo Olympics 2020 : टोक्यो ओलंपिक में इस बार भारत अपना सबसे बड़ा दल भेज रहा है. 119 खिलाड़ी पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेंगे. पहला दल 17 जुलाई को टोक्यो के लिए रवाना होगा. भारत को ओलंपिक में अब भी कई खेलों में पदक तो दूर अच्छे प्रदर्शन का इंतजार है.

Tokyo Olympics 2020 : टोक्यो ओलंपिक में इस बार भारत अपना सबसे बड़ा दल भेज रहा है. 119 खिलाड़ी पहली बार ओलंपिक में हिस्सा लेंगे. पहला दल 17 जुलाई को टोक्यो के लिए रवाना होगा. भारत को ओलंपिक में अब भी कई खेलों में पदक तो दूर अच्छे प्रदर्शन का इंतजार है.

भारतीय तैराकों का प्रदर्शन ओलंपिक में काफी निराशाजनक रहा है. अब तक तैराकों ने पदक तो दूर सेमीफाइनल में पहुंचने का सपना भी साकार नहीं कर पाया है. टोक्यो ओलंपिक में भारत की ओर से तीन तैराक हिस्सा ले रहे हैं. यदि कोई भी सेमीफाइनल तक पहुंचने में कामयाब रहता है तो यह देश के खेलों के इतिहास में नया रिकार्ड होगा.

ऐसा रहा है तैराकी में भारत का सफर

भारत ने पहली बार 1932 में ओलंपिक तैराकी में हिस्सा लिया और 2016 तक कुल 26 तैराकों (20 पुरुष, छह महिलाएं) ने भारत का प्रतिनिधित्व किया है. लेकिन इनमें से कोई भी सेमीफाइनल के लिये भी क्वालीफाई नहीं कर पाये.

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टोक्यो ओलंपिक में भारत के तीन तैराक साजन प्रकाश (पुरुष 200 मीटर बटरफ्लाई), श्री हरि नटराज (पुरुष 100 मीटर बैकस्ट्रोक) और माना पटेल (महिला 100 मीटर बैकस्ट्रोक) भाग लेंगे. इनमें से साजन ‘ए’ कट हासिल करके ओलंपिक के लिये क्वालीफाई करने वाले पहले भारतीय तैराक बने थे. बाद में नटराज ने भी अपनी स्पर्धा में ‘ए’ कट हासिल किया. माना पटेल ने विश्वविद्यालय कोटा से ओलंपिक में जगह बनायी.

नलिन मलिक ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय तैराक

नलिन मलिक ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले भारतीय तैराक थे. उन्होंने 1932 लॉस एंजिल्स ओलंपिक में 400 मीटर और 1500 मीटर फ्रीस्टाइल में हिस्सा लिया था लेकिन अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे थे.

लंदन ओलंपिक 1948 में भारत के 7 तैराकों ने हिस्सा लिया था. पुरुष 100 मीटर फ्रीस्टाइल में तीन भारतीय सचिन नाग, दिलीप मित्रा और इसाक मंसूर उतरे लेकिन सभी अपनी हीट में अंतिम स्थान पर रहे. हेलसिंकी ओलंपिक 1952 में डॉली नजीर और आरती साहा के रूप में दो भारतीय महिला तैराक पहली बार ओलंपिक में तरणताल में उतरी थी. इसके बाद लंबे समय तक कोई भारतीय तैराक ओलंपिक में जगह नहीं बना पाया था.

खजान सिंह ने सियोल ओलंपिक 1988 में भाग लिया लेकिन पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में 28वें स्थान पर रहे. अटलांटा ओलंपिक 1996 में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली संगीता पुरी इससे पहले त्रिनिदाद एवं टोबैगो की तरफ से मध्य एवं कैरेबियाई अमेरिकी खेलों में हिस्सा ले चुकी थी.

संगीता पुरी ने जब ओलंपिक में भाग लिया तो वह 16 साल 236 दिन की थी और इस तरह से भारत की सबसे कम उम्र की ओलंपिक तैराक बनी थी. इसके बाद निशा मिलेट, शिखा टंडन, वीरधवल खाड़े और संदीप सेजवाल जैसे तैराकों ने भी ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया लेकिन कोई भी प्रभावित नहीं कर पाया.

गौरतलब है कि ओलंपिक तैराकी में शुरू से अमेरिका का दबदबा रहा. हालांकि ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी, जापान आदि से उसे चुनौती मिलती रही है. अमेरिका के नाम पर रियो ओलंपिक तक तैराकी में 248 स्वर्ण सहित 553 पदक दर्ज थे. अमेरिका के माइकल फेल्प्स को तरणताल का बादशाह कहा जाता है. उन्होंने ओलंपिक में 23 स्वर्ण सहित 28 पदक जीते हैं.

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