Tokyo Olympics 2020: टोक्यो ओलंपिक में भारत के लिए शुक्रवार का दिन काफी अच्छा रहा. दिन के शुरूआत में दुनिया की नंबर वन तीरंदाज दीपिका ने कमाल करते हुए क्वाटर फाइनल में जगह बनाया वहीं बॉक्सर लवलीना बोर्गोहेन (Lovlina Borgohain) ने देश को सबसे बड़ी खुशखबरी दी. टोक्यो ओलंपिक में मीरा बाई चानू के बाद मुक्केबाज लवलीना ने देश के लिए दूसरा मेडल पक्का कर लिया है. लवलीना ने आज क्वाटर फाइनल में ने चीनी ताइपे की बॉक्सर को हरा कर सेमीफाइनल में जगह बना लिया है.
That feeling when you assure your country of an Olympic medal in your debut appearance! 🔥🔥
4️⃣th August, 2021 📆 – Mark @LovlinaBorgohai's semi-final date on your calendars, it's 'bout to get more exciting!#Tokyo2020 | #StrongerTogether | #UnitedByEmotion | #BestOfTokyo pic.twitter.com/NwptipkUFb
— Olympic Khel (@OlympicKhel) July 30, 2021
क्वार्टर फाइनल में भारतीय बॉक्सर लवलीना ने चीनी ताइपे की बॉक्सर को हराया. चीनी ताइपे की मुक्केबाज के खिलाफ लवलीना ने अपना पहला राउंड 3-2 से जीता. ये टोक्यो ओलिंपिक में भारत का दूसरा मेडल होगा. सेमीफाइनल में लवलीना का मुकाबला अब नंबर वन सीड तुर्की की मुक्केबाज से होगा. आपको बता दें कि भारतीय बॉक्सर लवलीना का यह पहला ओलंपिक है और अपने पहले ही ओलंपिक में लवलीना ने पदक पक्का कर लिया है.
With a vision to support & motivate 'Assam's daughter' ace boxer @LovlinaBorgohai who is representing India at the @Tokyo2020, I launched a goodwill campaign 'Go For Glory, Lovlina' which started with a bicycle rally at #Guwahati today. 1/4 pic.twitter.com/SF6d7FIYCm
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) July 21, 2021
असम के गोलाघाट में जन्मी लवलिना बोरगोहेन की प्रतिभा को देख कर लोग उन्हें देश की दूसरी मैराकॉम भी कहते हैं. बता दें कि उन्होंने 2018 और 2019 के एइबीए विश्व महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था. 65 किलोग्राम वेट कैटेगरी में हिस्सा लेने वाली लवलिना ओलंपिक में हिस्सा लेने वाली प्रदेश की पहली महिला बॉक्सिंग खिलाड़ी हैं. लवलिना को साल 2020 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। यह अवॉर्ड पाने वाली वह असम की छठी खिलाड़ी हैं.
आपको बता दें कि प्रदेश की बेटी का हौसला बढ़ाने और उसके प्रति एकजुटता दिखाने के लिए गुवहाटी के लोग सकड़ों पर उतर आए थें. असम के मुख्यमंत्री समेत विपक्षी दलों के लोगों ने एकसाथ मिलकर 7 किमी की साइकिल रैली में हिस्सा लिया था. वहीं बताया जाता है कि लवलिना को बचपन से ही काफी संघर्ष करना पड़ा है. उनके पिता टिकेन बोरगोहेन की छोटी सी दुकान थी. शुरुआती दौर में लवलिना के पास ट्रैकसूट तक नहीं था. इक्विपमेंट और डाइट के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता था.