बचपन में लकड़ी के गट्ठर उठाते-उठाते वेटलिफ्टिंग में कमाल करने वाली मीराबाई चानू, संघर्षों से भरा रहा है जीवन

Mirabai Chanu, Tokyo Olympics 2020: मीरा बाई चानू के इस जीत के बाद पूरा देश खुशी से झूम उठा. पीएम मोदी से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक ने ट्वीटर पर अपनी खुशी जाहिर की.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 24, 2021 2:22 PM
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Tokyo Olympics 2020, Mirabai Chanu : टोक्यो ओलिंपिक में भारत की शानदार शुरूआत हुई है. खेलों के महाकुंभ के दूसरे दिन ही भारत के झोली में सिल्वर मेडल आ गया है. मीराबाई चानू ने 49 किलो ग्राम वर्ग में 202 के कुल वजन के साथ सिल्वर मेडल जीता. वेटलिफ्टर साइखोम मीराबाई चानू इस साल टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वालीं भारत की इकलौती महिला वेटलिफ्टर हैं. क्लीन एंड जर्क की वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर मीरबाई चानू ने अपने पहले अटेंप्ट में 110 किलो का वजन बिना किसी मुश्किल के उठाया और मेडल पक्का किया.


बचपन में आसानी से उठा लेती थीं लकड़ी के गट्ठर

मीरा बाई चानू के इस जीत के बाद पूरा देश खुशी से झूम उठा. पीएम मोदी से लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद तक ने ट्वीटर पर अपनी खुशी जाहिर की. बता दें कि मीरा बाई चानू का सफर संघर्षों से भरा हुआ है. बचपन में जब मीराबाई अपने बड़े भाई के साथ रोज चूल्हा जलाने के लिए लकड़ी बटोरने जंगल जाती थी. तो उनसे ज्यादा बड़े लकड़ी के गठे खुद उठा लिया करती थीं. बचपन को याद करते हुए मीराबाई ने खुद ये कहानी बतायी थी. मीराबाई बताती हैं कि, “हम 6 भाई बहन हैं तो उन सब को देखने में घरवालों को बहुत ज्यादा दिक्कत होती थी.”

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बांस से करती थी वेटलिफ्टिंग की प्रैक्टिस

8 अगस्त 1994 को जन्मी और मणिपुर के एक छोटे से गाँव में पली बढ़ी मीराबाई बचपन से ही काफ़ी हुनरमंद थीं. बिना ख़ास सुविधाओं वाला उनका गांव इंफ़ाल से कोई 200 किलोमीटर दूर था. उन दिनों मणिपुर की ही महिला वेटलिफ़्टर कुंजुरानी देवी स्टार थीं और एथेंस ओलंपिक में खेलने गई थीं. बस वही दृश्य छोटी मीरा के ज़हन में बस गया और छह भाई-बहनों में सबसे छोटी मीराबाई ने वेटलिफ़्टर बनने की ठान ली.

मीरा की ज़िद के आगे माँ-बाप को भी हार माननी पड़ी. 2007 में जब प्रैक्टिस शुरु की तो पहले-पहल उनके पास लोहे का बार नहीं था तो वो बाँस से ही प्रैक्टिस किया करती थीं. गाँव में ट्रेनिंग सेंटर नहीं था तो 50-60 किलोमीटर दूर ट्रेनिंग के लिए जाया करती थीं. डाइट में रोज़ाना दूध और चिकन चाहिए था, लेकिन एक आम परिवार की मीरा के लिए वो मुमकिन न था. उन्होंने इसे भी आड़े नहीं आने दिया. 2014 कामनवेल्थ गेम्स में सिल्वर जीत और फिर 2018 कामनवेल्थ गेम्स में उन्होंने गोल्ड मैडल जीता और रिकॉर्ड भी बनाया.

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