Tokyo Olympics 2020 : भारत को 21 साल बाद ओलंपिक में वेटलिफ्टिंग में दूसरा मेडल मिला है. टोक्यो ओलंपिक के दूसरे दिन मीराबाई चानू (Saikhom Mirabai Chanu) ने 49 किलो वर्ग में रजत पदक पर कब्जा किया. इससे पहले कर्णम मल्लेश्वरी (Karnam Malleswari ) ने 2000 सिडनी ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक दिलाया था.
मीराबाई के रजत पदक के साथ ही टोक्यो ओलंपिक में भारत के पदकों के सफर की शुरुआत भी हो गयी. मीराबाई के पदक जीतने के बाद पूरा देश इस समय खुशी से झूम रहा है.
मां के दिये खास तोहफे के साथ मीराबाई ने पदक जीता
मीराबाई ने जब रजत मेडल पर कब्जा जमाया, तो उनके चेहरे की मुस्कान ने सबका दिल जीत लिया, लेकिन इस दौरान उनके कानों में पहनी ओलंपिक के छल्लों के आकार की बालियों ने भी सबका ध्यान खींचा.
दरअसल उस बालियों को उनकी मां ने पांच साल पहले अपने जेवर बेचकर उन्हें तोहफे में दी थी. मीराबाई की मां को उम्मीद थी कि इससे उनका भाग्य चमकेगा. रियो 2016 खेलों में ऐसा नहीं हुआ लेकिन मीराबाई ने आज सुबह तोक्यो खेलों में पदक जीत लिया और तब से उनकी मां सेखोम ओंग्बी तोम्बी लीमा के खुशी के आंसू रुक ही नहीं रहे हैं.
मीराबाई के घर में मन रहा जश्न
मीराबाई के मेडल जीतने के बाद उनके घर पर जश्न का माहौल है. उनकी मां लीमा मणिपुर में अपने घर पर बेटी का मुकाबला देखी. उन्होंने कहा, मैं बालियां टीवी पर देखी थी, मैंने ये उसे 2016 में रियो ओलंपिक से पहले दी थी. मैंने मेरे पास पड़े सोने और अपनी बचत से इन्हें बनवाया था जिससे कि उसका भाग्य चमके और उसे सफलता मिले.
उन्होंने कहा, इन्हें देखकर मेरे आंसू निकल गए और जब उसने पदक जीता तब भी. उसके पिता (सेखोम कृति मेइतेई) की आंखों में भी आंसू थे. खुशी के आंसू. उसने अपनी कड़ी मेहनत से सफलता हासिल की.