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Tokyo Olympics में भारतीय झलक, जापान हॉकी टीम के कोच सिगफ्राइड धाकड़ तरीके से बाेलते हैं भोजपुरी

Tokyo Olympics 2020: इंटरव्यू में सिगफ्राइड ने इसका मजेदार तरीके से जिक्र भी किया. सिगफ्राइड बताते हैं कि उनके पूर्वजों का संबंध लखनऊ से भी था. सिगफ्राइड बताते हैं कि भारतीय उप महाद्वीप की टीमों (खास कर भारत के साथ) के होनेवाले मैचों में भोजपुरी जानने और समझने के कारण उनकी टीम को फायदा होता है.

Tokyo Olympics 2020: जापान पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच सिगफ्राइड एकमैन का संबंध बिहार के आरा जिले से है. वे हिंदी और भोजपुरी भी मजे से बोलते हैं और खुद को भोजपुरी बोलने पर फक्र भी करते हैं. हालांकि उनका जन्म नीदरलैंड में हुआ है, लेकिन उनके पूर्वज आरा के थे़ उनके परदादा छाेटकन आरा से सुरीनाम गये थे़ सिगफ्राइड कहते हैं कि जब वह 12 वर्ष के थे, तब अपनी माताजी के साथ रहने के लिए नीदरलैंड चले गये. सिगफ्राइड को अपने परदादा का नाम याद है़ वे उस घटना का भी जिक्र करते हैं, जब छोटकन भारत से विदेश गये थे.

56 साल के सिगफ्राइड ने स्पोर्ट्स चैनल को दिये एक इंटरव्यू में बताया कि उनके परदादा अपने पिता के छठे पुत्र थे और पेशे से सोनार थे. अपने सुनहरे भविष्य के लिए उन्होंने (छोटकन) सुरीनाम जाने का फैसला किया. जलयान (पानी जहाज) में उनकी मुलाकात सिगफ्राइड की परदादी से हुई और इस प्रकार दोनों का परिवार बना.बहरहाल, सिगफ्राइड भोजपुरी बढ़िया तरीके से बोल लेते हैं.

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इंटरव्यू में सिगफ्राइड ने इसका मजेदार तरीके से जिक्र भी किया. सिगफ्राइड बताते हैं कि उनके पूर्वजों का संबंध लखनऊ से भी था. सिगफ्राइड बताते हैं कि भारतीय उप महाद्वीप की टीमों (खास कर भारत के साथ) के होनेवाले मैचों में भोजपुरी जानने और समझने के कारण उनकी टीम को फायदा होता है. गर्व के साथ वह भोजपुरी में बताते हैं, ‘हम हिंदी समझीला.’ कहा, मैच के दौरान जब भारतीय खिलाड़ी हिंदी में बात करते हैं, तो मैं उनकी रणनीति समझ लेता हूं और अपने खिलाड़ियों को उसके बारे में बताता हूं.

सिगफ्राइड सुरीनाम के एक शहर पारामारिबो में पले व बढ़े हैं. उनके घर पर इंडो-कैरिबियन कल्चर है. हालांकि बातचीत में सिगफ्राइड ने बताया कि वह हिंदुस्तानी रीति-रिवाज वाले माहौल में बड़े हुए हैं और उनकी पहली भाषा हिंदी रही है. छह वर्ष की उम्र तक वे शुद्ध शाकाहारी थे. उनकी माताजी चाहती थीं कि वे साधु बन जाएं, लेकिन बाद में सिगफ्राइड मांसाहारी बन गये और माताजी के सपनों पर पानी फिर गया. कहते हैं, जब मैं अपने हिंदुस्तानी परिवार के साथ होता हूं, तब भारतीय रीति-रिवाज को मानता हूं, पूजा भी करता हूं. जब मेरी शादी हुई, तब मैंने फेरे भी लिये.

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