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दुनिया के ​​​​​​​सुपर पावर ही क्यों करते हैं Olympics में टॉप? अमेरिका-चीन खर्च करतें है 20 हजार करोड़

Tokyo Olympics 2020: ओलिंपिक खेलों में अधिक मेडल लानेवाले अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन जैसे देश ओलिंपिक में अच्छे प्रदर्शन के लिए काफी खर्च करते हैं.

  • 20 हजार करोड़ रुपये अमेरिका ओलिंपिक के लिए एथलीटों पर खर्च करता है.

  • 11 हजार करोड़ रुपये ब्रिटेन की ओर से हर साल ट्रेनिंग पर खर्च किये जाते हैं.

  • 20 हजार करोड़ रुपये चीन ओलिंपिक खिलाड़ियों की ट्रेनिंग के लिए खर्च करता है.

Tokyo Olympics 2020: 23 जुलाई से शुरू हो रहे खेल के महाकुंभ ओलिंपिक के लिए सभी देशों के अधिकतर खिलाड़ी तोक्यो पहुंच गये हैं. इस बार करीब 206 देश तोक्यो ओलिंपिक में हिस्सा लेंगे. इस बार किस देश की बादशाहत कायम रहेगी, यह ओलिंपिक शुरू होने के बाद ही पता चलेगा, लेकिन पुराने आकड़ों पर नजर डालें, तो अमेरिका, सोवियत संघ, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस, जर्मनी का दबदबा रहा है. पहली बार 1896 में ओलिंपिक गेम्स का आयोजन किया गया था. अमेरिका 11 गोल्ड सहित 20 मेडल जीत कर शीर्ष पर रहा था.

हालांकि ग्रीस ने भी 10 गोल्ड सहित 46 मेडल जीते थे. ओलिंपिक की ऑल टाइम मेडल टैली के टॉप-10 पर नजर डालें, तो दूसरे विश्व युद्ध के बाद दो सबसे बड़े सुपर पावर अमेरिका और सोवियत संघ टॉप-2 पोजीशन पर थे. इन दोनों से पहले सुपर पावर और उपनिवेशवाद के प्रतिनिधि रहे देश ब्रिटेन और फ्रांस भी टॉप-5 में थे. 21वीं सदी के बाद एशियाई से चीन अमेरिका को कड़ी टक्कर दे रहा है.

तैयारी पर पानी की तरह पैसा बहाना

ओलिंपिक खेलों में अधिक मेडल लानेवाले अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन जैसे देश ओलिंपिक में अच्छे प्रदर्शन के लिए काफी खर्च करते हैं. सिर्फ सरकार ही नहीं, प्राइवेट कंपनियां अपने खिलाड़ियों को सपोर्ट करते हैं, जिससे खिलाड़ियों को डाइट से लेकर अन्य संसाधनों के लिए आर्थिक मदद मिल जाती है और उनका सारा ध्यान तैयारियों पर लगा रहता है.

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बेहतरीन संसाधन बुनियादी सुविधाएं

ब्रिटेन, रूस, जापान, अमेरिका और चीन जैसे देशों के लगभग हर बड़े शहर में खेल की बुनियादी सुविधाएं हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम हैं, इक्विपमेंट, हाइ परफॉर्मेंस सेंटर, बायोमैकेनिक्स सेंटर आदि शामिल हैं, जहां पर खिलाड़ियों को अच्छी ट्रेनिंग मिलती है. 100 से ज्यादा इंटरनेशनल स्तर के स्टेडियम मौजूद है चीन में, वहीं 25 स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और 50 से अधिक इंस्टीट्यूट में खिलाड़ियों के लिए स्पोर्ट्स स्टडीज की सुविधा हैं.

वैज्ञानिक पद्धति से ट्रेनिंग और कोचिंग

अच्छे कोच और ट्रेनिंग का होना खिलाड़ियों की सफलता के लिए बेहद जरूरी है. ओलिंपिक की शुरुआत अमेच्योर स्पोर्ट्स इवेंट के तौर पर हुई थी, लेकिन बड़े देशों ने इसे प्रोफेशनल तरीके से अप्रोच किया. हर खेल के विज्ञान को समझते हुए खिलाड़ियों को तैयार किया जाता है. इसके लिए स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और स्पोर्ट्स रिसर्च सेंटर बनाये गये हैं. चीन में सख्ती बरती जाती है. कम उम्र से ही ओलिंपिक के लिए तैयार किया जाता है.

भारत भी बड़े देशों की राह पर

21वीं सदी में भारत ने भी खेल की बुनियादी सुविधाओं के विकास पर ध्यान दिया है और सभी राज्यों में खेल यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा रही है. इस बार ओलिंपिक से पहले टॉप्स योजना के तहत खिलाड़ियों की तैयारी पर करोड़ों रुपये खर्च किये गये हैं. ओलिंपिक में हिस्सा लेने से पहले खिलाड़ियों ने सरकार की मदद से अमेरिका, ब्रिटेन सहित अपने पसंदीदा ट्रेनिंग स्थल पर महीनों तैयारी की है. ऐसा रहा, तो हम भी जल्द ही भविष्य में अमेरिका, चीन जैसे खेलों की महाशक्ति देशों को टक्कर देने लगेंगे.

Posted by : Rajat Kumar

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