Tokyo Olympics 2020, Mirabai Chanu : टोक्यो ओलपिंक से वेटलिफ्टिंग में भारत के लिए पहला मेडल जीतने के बाद मणिपुर की रहने वाली साइखोम मीराबाई चानू ( Saikhom Mirabai Chanu) ने देश का नाम विश्व मंच के सामने ऊंचा किया है. वेटलिफ्टिंग में 21 साल बाद देश को वेटलिफ्टिंग में मेडल दिलाने वाली मीराबाई चानू स्वदेश लौंट आईं हैं और अपने गांव में छुट्टियां बिता रही हैं. ओलंपिक के तैयारियों के कारण चार साल तक मणिपुर में अपने गांव ना जा पामने वाली चानू इस समय वहां सुकून के पल बिता रही हैं.
Say hello to my beautiful Manipur❤️🌏 pic.twitter.com/oz72OJY604
— Saikhom Mirabai Chanu (@mirabai_chanu) August 1, 2021
रविवार को मीराबाई चानू ने अपने सोशव मीडिया अकांउट से अपनी कुछ तसवीरें शेयर की. इस तसवीरों को शेयर करते हुए भारत की स्टार खिलाड़ी ने लिखा कि मेरा प्यार मणिपुर. बता दें कि मीराबाईं चानू मणिपुर की रहने वाली हैं. बता दें कि मीराबाई इंफाल से लगभग 25 किलोमीटर दूर नोगपोक काकचिंग गांव में रहती है. रियो (2016) ओलंपिक में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद मीराबाई को पिछले पांच वर्षों में बहुत बार घर आने का मौका नहीं मिला था.
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गौरतलब है कि मणिपुर की इस खिलाड़ी ने 49 किग्रा वर्ग में कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) भार उठाकर शनिवार को रजत पदक हासिल किया था. इससे पहले भारोत्तोलन में 2000 सिडनी ओलंपिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने कांस्य पदक जीता था. पदक जीतने के बाद 9 किग्रा वर्ग के लिए अपना आइडल वेट बनाए बनाए रखने में आने वाली कठिनाइयों पर चानू ने कहा, ‘यह बहुत मुश्किल रहा. हमें इस श्रेणी में वजन बनाए रखने के लिए अपनी डाइट पर सख्ती से कंट्रोल की जरूरत थी। इसलिए मैं जंक फूड नहीं खा सकती थी.’
भारोत्तोलक ने कुल 202 किग्रा (87 किग्रा + 115 किग्रा) से कर्णम मल्लेश्वरी के 2000 सिडनी ओलिंपिक में कांस्य पदक से बेहतर प्रदर्शन किया. इससे उन्होंने 2016 में रियो ओलिंपिक के खराब प्रदर्शन को भी पीछे छोड़ दिया, जिसमें वह एक भी वैध वजन नहीं उठा सकीं थीं.