Tokyo Paralympics में भारत की भविना पटेल का धमाल, ब्राजील की खिलाड़ी को मात दे क्वार्टर फाइनल में पहुंची
Tokyo Paralympics 2020 : टोक्यो पैरालंपिक के तीसरा दिन भारत के लिए शानदार रहा. टेबल टेनिस खिलाड़ी भविना पटेल ग्रुप स्टेज के तीसरे मुकाबले में शानदार जीत दर्ज कर क्वार्टर फाइनल में जगह बनी ली है.
Tokyo Paralympics 2020 : टोक्यो पैरालंपिक की महिला सिंगल्स की टेबल टेनिस में भारत की भविना पटेल (Bhavinaben Patel) ने ग्रुप स्टेज के तीसरे मुकाबले में शानदार जीत दर्ज की. भारत की पैरा टेबल टेनिस खिलाड़ी भाविना पटेल ने ब्राजील की जॉयस डी ओलिविएरा (Joyce de Oliveira) को 3-0 से हराकर टोक्यो पैरालिंपिक के क्वार्टर फाइनल के लिए क्वालीफाई कर लिया. उनका अगला मुकाबला आज ही दोपहर 3:50 बजे होगा, जहां वह क्वार्टर फाइनल में भिड़ेंगी.
#Exclusive @BhavinaPatel6 creates history as she storms into quarterfinal with a smart and focused approach
Check out what she has to say about her QF match scheduled for 3:50 PM (IST) today#Cheer4India #Praise4Para #BhavinaPatel@PMOIndia @ianuragthakur @NisithPramanik pic.twitter.com/VaazWxa2wC
— SAI Media (@Media_SAI) August 27, 2021
बता दें कि इससे पहले भावनाबेन पटेल गुरुवार को यहां ग्रेट ब्रिटेन की मेगान शैकलटन पर 3-1 की जीत से तोक्यो पैरालिंपिक खेलों की टेबल टेनिस प्रतियोगिता के महिला एकल क्लास 4 के नॉकआउट दौर में पहुंची थी. भारत की 34 वर्षीय खिलाड़ी ने विश्व में नौवें नंबर की शैकलटन को 41 मिनट तक चले मैच में 11-7, 9-11, 17-15, 13-11 से हराया. विश्व में 12वें नंबर की भारतीय के लिए यह करो या मरो वाला मैच था. उन्होंने पहला गेम केवल आठ मिनट में जीता, लेकिन शैकलटन ने दूसरा गेम जीतकर अच्छी वापसी की.
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इसके बाद अगले दो गेम में दोनों खिलाड़ियों ने अपनी जी जान लगा दी, लेकिन भारतीय खिलाड़ी ने महत्वपूर्ण मौकों पर अंक बनाये और जीत हासिल करने में सफल रही. वहीं स्पर्धा में हिस्सा ले रही एक अन्य भारतीय सोनबबेन मनुभाई पटेल को हालांकि शिकस्त का सामना करना पड़ा और उनका अभियान थम किया. उन्हें क्लास 3 महिला एकल के अपने दूसरे मैच में कोरिया की एमजी ली के खिलाफ 12-10, 5-11, 3-11, 9-11, 12-10, 5-11, 3-11, 9-11 से शिकस्त झेलनी पड़ी. वह बुधवार को अपने पहले ग्रुप मैच में भी हार गयी थी. क्लास तीन वर्ग में खिलाड़ियों का अपन कमर पर नियंत्रण नहीं होता, लेकिन इसके बावजूद उनके हाथों पर इसका न्यूनतम असर होता है.