टोक्यो पैरालंपिक 2020 (Tokyo Paralympics 2020) में भारत ने इतिहास रच डाला है. एक दिन भारत के खाते में तीन-तीन मेडल आये. रविवार को भारतीय एथलीटों से शानदार प्रदर्शन दिखाया और सुबह में टेबल टेनिस में भाविना पटेल (Bhavina Patel) ने देश के लिए पहला सिल्वर मेडल जीता. उसके बाद हाई जंप में निषाद कुमार ने शाम में सिल्वर और फिर डिस्कस थ्रो में विनोद कुमार (Vinod Kumar ) ने कांस्य पदक जीतकर राष्ट्रीय खेल दिवस को खास बना दिया.
विनोद कुमार ने टोक्यो में अपना बेस्ट प्रदर्शन दिखाया और एफ 52 कैटेगरी में में उन्होंने 19.91 मीटर के थ्रो के साथ एशियन रिकॉर्ड अपने नाम किया. विनोद का बेस्ट थ्रो 19.91 मीटर रहा. उन्होंने 17.46 मीटर के थ्रो के साथ शानदार शुरुआत की. लेकिन दो अटेंप्ट में पिछड़ने के बाद उन्होंने शानदार वापसी की और पांचवें 19.20 मीटर और फिर छठे अटेंप्ट में 19.91 मीटर थ्रो कर कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया.
3rd Medal for #IND at #Tokyo2020 #Paralympics #VinodKumar wins 🥉 in Discus Throw F-52 Final event , setting a new Asian Record with a throw of 19.91m
He performed brilliantly well and the whole nation is proud of his achievement#Praise4Para#Cheer4India#ParaAthletics pic.twitter.com/cWn7CA8iVZ
— SAI Media (@Media_SAI) August 29, 2021
बीएसएफ के 41 साल के जवान ने 19.91 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो से तीसरा स्थान हासिल किया. वह पोलैंड के पियोट्र कोसेविज (20.02 मीटर) और क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडोर (19.98 मीटर) के पीछे रहे जिन्होंने क्रमश: स्वर्ण और रजत पदक अपने नाम किये.
विनोद के पिता 1971 भारत-पाक युद्ध में लड़े थे. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में जुड़ने के बाद ट्रेनिंग करते हुए वह लेह में एक चोटी से गिर गये थे जिससे उनके पैर में चोट लगी थी. इसके कारण वह करीब एक दशक तक बिस्तर पर रहे थे और इसी दौरान उनके माता-पिता दोनों का देहांत हो गया था.
एफ52 स्पर्धा में वो एथलीट हिस्सा लेते हैं जिनकी मांसपेशियों की क्षमता कमजोर होती है, हाथों में विकार होता है या पैर की लंबाई में अंतर होता है जिससे खिलाड़ी बैठकर प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लेते हैं. रीढ़ की हड्डी में चोट वाले या ऐसे खिलाड़ी जिनका कोई अंग कटा हो, वे भी इसी वर्ग में हिस्सा लेते हैं.