केतुग्राम (मुकेश तिवारी) : पूर्वी बर्दवान जिला के केतुग्राम विधानसभा सीट से इस बार कांग्रेस के निवर्तमान विधायक व तृणमूल प्रत्याशी शेख शाहनवाज ने हैट्रिक लगाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है. इस सीट पर 22 अप्रैल को छठे चरण के तहत मतदान होगा.
संयुक्त मोर्चा की ओर से माकपा ने यहां से मिजानुर करीम और भाजपा ने मथुरा घोष (अनादि) को प्रत्याशी घोषित किया है. शेख शाहनवाज तीसरी बार इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार वह हैट्रिक लगाने की जुगत में हैं. वर्ष 2011 व 2016 के विधानसभा चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी माकपा प्रत्याशी को हराकर वह विधायक बने थे.
इस बार उनके खिलाफ माकपा और भाजपा ने नये उम्मीदवारों को उतारा है. भाजपा के इलाके में बढ़े जनाधार को देखते हुए इस सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं. हालांकि, तृणमूल प्रत्याशी दावा कर रहे हैं कि इस बार उन्हें हैट्रिक बनाने से कोई रोक नहीं सकता.
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गौरतलब है कि वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी व मौजूदा विधायक शेख शाहनवाज ने माकपा के प्रत्याशी अबुल कादिर सैयद को 8,729 वोटों से पराजित किया था. शाहनवाज को 89,441, जबकि अबुल सैयद को 80,712 वोट मिले थे.
वर्ष 2011 में भी इस सीट से शेख शाहनवाज ने अबुल कादिर सैयद को 1,599 वोट के अंतर से हराया था. शाहनवाज को 77,323 और अबुल को 75,724 वोट मिले थे. इस विधानसभा क्षेत्र के इतिहास पर नजर डालेंगे, तो पायेंगे कि वर्ष 1977 से 2016 तक के विधानसभा चुनाव में माकपा 6 बार और तृणमूल दो बार जीत दर्ज कर चुकी है.
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इस सीट पर माकपा के रायचंद्र मांझी ने वर्ष 1977 से 1991 तक चार बार जीत दर्ज की थी. माकपा के ही तमाल चंद्र मांझी वर्ष 1996 से 2006 तक लगातार तीन बार जीते. इस बार शेख शाहनवाज भी हैट्रिक लगाने के प्रयास में हैं. केतुग्राम विधानसभा सीट बोलपुर लोकसभा क्षेत्र में आती है.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट से तृणमूल कांग्रेस के असित कुमार माल ने भाजपा के उम्मीदवार राम प्रसाद दास को 1,06,402 वोट से पराजित किया था. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि इस सीट पर लड़ाई कांटे की होगी.
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तृणमूल प्रत्याशी 10 वर्ष के विकास को चुनावी मुद्दा बनाकर जनता के पास जा रहे हैं, तो भाजपा उम्मीदवार भ्रष्टाचार, घोटालों, अराजकता व गिरती कानून व्यवस्था को लेकर जनता के पास परिवर्तन की सरकार का आह्वान करते हुए प्रचार कर रहे हैं.
माकपा प्रत्याशी राज्य और केंद्र, दोनों ही सरकारों की नीतियों और तानाशाही व्यवस्था के खिलाफ जनता के पास अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि राज्य और केंद्र की सरकारों के खिलाफ लोगों के मन में जो असंतोष है, उसका फायदा लेफ्ट को इस बार मिलेगा.
Posted By : Mithilesh Jha