संतोष उत्सुक
टिप्पणीकार
Tourist Places Of Hydrabad: हैदराबाद में रहते हुए अगर पुराना शहर नहीं घूमे तो समझ लें स्वर्णिम इतिहास से सामना होना रह गया. शहर में निजामों की शानो शौकत की विरासत, इमारतें, किस्से कहानियां बची हुई हैं. सलारजंग संग्रहालय में तरह-तरह के खजानों को इत्मीनान से देखना इतिहास में प्रवेश करने जैसा है.
अंतरराष्ट्रीय ‘वर्ल्ड ग्रीन सिटी अवार्ड’ दिए जाने की घोषणा हुई
हैदराबाद के बाहरी रिंग रोड से गुजरते लगता है आप दुनिया के किसी खास शहर में जा रहे हैं. सड़क का रखरखाव कुदरत से प्रेरित होकर किया गया है. प्रकृति ने पहले से ही वहां सौम्य पर्यावरण की रचना कर रखी है. छोटे-बड़े, एक-दूसरे पर टिके, आकर्षक आकारों वाले पत्थर शहर का अनूठा, अतरंग हिस्सा हैं. निजामी तहजीब वाले हैदराबाद में आने-जाने के लिए 13 दरवाजे भी इसे विशेष बनाते हैं. खुली सड़कें, चौड़ी गलियां यहां की विरासत है. पिछले वर्ष मैं हैदराबाद में ही था जब इस ऐतिहासिक शहर को, अंतरराष्ट्रीय ‘वर्ल्ड ग्रीन सिटी अवार्ड’ दिए जाने की घोषणा हुई. हैदराबाद ने विरासत और आधुनिक विकास को उम्दा तरीके से हरियाली, खूबसूरत वृक्ष पौधे, फूल, झील, तालाब, इमारतों और सड़कों में रचकर रखा है.
शाही महल के खंहहर अभी भी आकर्षक हैं
कुतुबशाही राजवंश के पांचवें शासक मोहम्मद कुली कुतुब शाह ने 1591 में गोलकुंडा राज्य में इस शहर को बसाना शुरू किया था. मूसी नदी के किनारे स्थित इस्लामी वास्तुकला का अदभुत स्मारक चारमीनार हैदराबाद की शान है. लाल पत्थर और चूने से बनी इस मस्जिद की पहली मंजिल से शहर का विहंगम नजारा दिखता है. चार मीनार के पास चूड़ी बाार, जौहरी बाजार, अशर्फी बाजार हैं. किसी समय में पूरे देश में प्रसिद्ध रही, ‘जरी’ की उम्दा कारीगरी यहीं होती रही है. देश के सबसे पुराने किलों में से एक गोलकुंडा किला भी दुनिया भर से पुरातत्व, इतिहास और वास्तुकला के दीवानों को यहां खींचता है. शाही महल के खंहहर अभी भी आकर्षक हैं, जो कई राजाओं के उत्थान और पतन के गवाह रहे हैं. कुछ दूर हैदराबादी वास्तुकला की पहचान बनाए रखने वाले कुतुब शाही राजवंश के मकबरे भी हैं. भारत की बड़ी मस्जिदों में से एक मक्का मस्जिद 400 साल से भी ज्यादा पुरानी है. बताते हैं इसके निर्माण में मक्का शरीफ की मिट्टी भी प्रयोग हुई है. यहां की हुसैन सागर एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है. संगमरमर से बना बिरला मंदिर आपको शहर का शानदार नज़ारा दिखाएगा. चौमहल्ला पैलेस देखना भी जरूरी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि इस अनूठी इमारत को बनाने में एक शताब्दी लगी. यहां हैदराबाद के निजाम रहते थे. यहां के दरबार हॉल में कुछ वक्त बिताने पर ऐतिहासिक भव्यता शरीर में प्रवेश करने लगती है. ‘सिटी ऑफ पर्ल्स’ कहलाना भी हैदराबाद की एक खासियत है लेकिन किसी अनुभवी व्यक्ति के बिना मोती खरीदना, महंगा पड़ सकता है. यहां स्थित ‘गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड्स’ में दर्ज, फिल्मों का निरंतर शूटिंग स्थल, ‘रामोजी फिल्म सिटी’ भारत का सबसे बड़ा फिल्मी शहर है. फिल्मों के दीवाने को तो यहां मजा आएगा ही, यह जगह दूसरे पर्यटकों को बुलाने में भी सक्षम है.
हैदराबाद में रहते हुए अगर पुराना शहर नहीं घूमे तो समझ लें स्वर्णिम इतिहास से सामना होना रह गया. शहर में निजामों की शानो शौकत की विरासत, इमारतें, किस्से कहानियां बची हुई हैं. सलारजंग संग्रहालय में तरह-तरह के खजानों को इत्मीनान से देखना इतिहास में प्रवेश करने जैसा है. दुनिया भर में मशहूर, तसल्ली से पकायी जाने वाली, लजीज हैदराबादी बिरयानी खाने का लुत्फ लेना भी शहर का एक आकर्षण है. हैदराबाद की बेकरी की खासियतों ने भी खूब नाम कमाया है. उत्तरी भारत में मिलने वाले छोटे-छोटे कद्दू यहां नहीं होते, लेकिन दर्जनों फलों के इलावा ईरानी चाय, बोटी कबाब लुख्मी, कीमा समोसा, मिट्टी के बर्तन में परोसी फिरनी, अरबी व्यंजन और सूखी खुमानी का मीठा भी लाजवाब है.
हैदराबाद ने अभी भी अपनी मूल पहचान और संस्कृति को बचाये रखा है. यहां की खूबसूरत चट्टानों को सहेज कर रखने के लिए पर्यावरण प्रेमियों ने एक सोसायटी भी बनायी है. हैदराबाद की जलवायु गर्म है. ऐसे में घूमने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बढ़िया रहेगा. वैसे वक्त और जेब इजाजत दें तो हैदराबाद किसी भी मौसम में, आपके कई दिन-रात आबाद कर सकता है.
कैसे पहुंचें
राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा दुनिया के प्रमुख शहरों से और एन टी रामाराव एयरपोर्ट देश के मुख्य शहरों से जुड़ा है. यहां के तीन मुख्य रेलवे स्टेशन हैदराबाद, सिकंदराबाद और काचीगुड़ा देश के मुख्य रेलवे स्टेशनों से जुड़े हैं. विशाल बस टर्मिनस पर जगह-जगह से बसें आती हैं.