कोरोना काल में बंद ट्रेनें 30 अगस्त तक नहीं हुईं शुरू, तो 31 अगस्त को चाकुलिया स्टेशन पर देंगे धरना
Train News : झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया के समाजसेवियों ने कोरोना काल से बंद ट्रेनें शुरू करने की मांग पर बुधवार को डीआरएम के नाम स्टेशन प्रबंधक जेएन मारंडी को ज्ञापन सौंपा. इसमें कहा गया कि चाकुलिया के ग्रामीण यातायात के लिए रेलवे पर निर्भर हैं.
Train News : झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया के समाजसेवियों ने कोरोना काल से बंद ट्रेनें शुरू करने की मांग पर बुधवार को डीआरएम के नाम स्टेशन प्रबंधक जेएन मारंडी को ज्ञापन सौंपा. इसमें कहा गया कि चाकुलिया के ग्रामीण यातायात के लिए रेलवे पर निर्भर हैं. कोविड-19 के कारण रेलवे ने लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया था. अब महामारी की स्थिति नहीं है. इन्हें 30 अगस्त तक शुरू किया जाए, नहीं तो 31 अगस्त को चाकुलिया स्टेशन पर धरना देंगे.
रेलवे विभाग अन्य ट्रेनों की तरह 68012 खड़गपुर-टाटा इएमयू, 68016 खड़गपुर-टाटा इएमयू, 58032 चाकुलिया-टाटा पैसेंजर, 22822 बिरसा मुंडा एक्सप्रेस, 18030 शालीमार कुर्ला एक्सप्रेस को पुनः चालू करे. 18616 क्रियायोग एक्सप्रेस, 22892 लालमाटी एक्सप्रेस ट्रेन का चाकुलिया स्टेशन पर ठहराव करने और चल रही टाटा-रांची लोकल ट्रेन को चाकुलिया तक चलाने की मांग की गयी.
ज्ञापन में कहा गया कि चाकुलिया स्टेशन का नाम शिलापट्ट पर बांग्ला भाषा में दोबारा लिखा जाए. 30 अगस्त तक मांग पूरी नहीं होने पर 31 अगस्त को चाकुलिया स्टेशन परिसर में शांतिपूर्ण ढंग से धरना प्रदर्शन करने की बात कही गयी. मौके पर दिनेश सिंह, मनिन्द्र नाथ पालित, दिनेश शुक्ला, अमित राय, संतोष घोष, मनिन्द्र नाथ पाल, मुरारी सिंह, संदीप चक्रवर्ती, नीतीश आनंद, रोहित महतो आदि उपस्थित थे.
इधर, कोरोना काल से बंद ट्रेनें शुरू कराने की मांग गालूडीह के लोग कई माह से कर रहे हैं. इस दिशा में अब तक पहल नहीं हुई है. कोरोना काल में रेल प्रशासन ने कई लोकल और एक्सप्रेस ट्रेनों का परिचालन बंद कर दिया. कोरोना महामारी खत्म हुई, तो कई ट्रेनें शुरू हुई. गालूडीह स्टेशन पर कई ट्रेनों का ठहराव बंद कर दिया गया. इससे यात्रियों को परेशानी होती है. खड़गपुर-टाटा इएमयू, शालीमार कुर्ला एक्सप्रेस, इस्पात एक्सप्रेस का ठहराव फिर शुरू करने की मांग की गयी है. उक्त ट्रेनें कोरोना काल के पहले गालूडीह स्टेशन पर रुकती थी.
Posted By : Guru Swarup Mishra