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ममता बनर्जी सरकार का बड़ा फैसला, अब ट्रांसजेंडरों को सामान्य श्रेणी में शामिल करने के फैसले को दी मंजूरी

पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडरों के अधिकार की रक्षा एवं समाज में उनकी पहचान बनाने के लिए महत्वपूर्ण फैसला किया है.मुख्यमंत्री राज्य के ट्रांसजेंडरों को साधारण नागरिक की भांति समान अधिकार एवं सुविधाएं देना चाहती हैं. वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने इसे लेकर एक कानून भी बनाया है.

पश्चिम बंगाल में राज्य सरकार ने ट्रांसजेंडरों के अधिकार की रक्षा एवं समाज में उनकी पहचान बनाने के लिए महत्वपूर्ण फैसला किया है. विधानसभा परिसर में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक हुई, जिसमें ट्रांसजेंडरों को साधारण श्रेणी में शामिल करने का निर्णय लिया गया. कैबिनेट की बैठक के बाद मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने संवाददाताओं को बताया कि अब से ट्रांसजेंडरों को भी साधारण नागरिक की भांति सभी सुविधाएं प्रदान की जायेंगी. गौरतलब है कि वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार बंगाल में ट्रांसजेंडरों की संख्या 30,349 है.

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ट्रांसजेंडरों को साधारण नागरिक की भांति समान अधिकार मिलेगा 

केंद्र सरकार के 2019 में पारित किये गये कानून के अनुसार अब राज्य सरकार ने भी नियमों में संशोधन करने का निर्णय लिया है. कैबिनेट की बैठक में इस पर सहमति बन गयी है. मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री राज्य के ट्रांसजेंडरों को साधारण नागरिक की भांति समान अधिकार एवं सुविधाएं देना चाहती हैं. वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने इसे लेकर एक कानून भी बनाया है. अब राज्य सरकार ने संबंधित विभाग को इस बारे में प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति दे दी है. उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडरों के अधिकार को सुरक्षित रखने के लिए ही राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है.

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2014 में सर्वोच्च न्यायालय ने दिया था ऐतिहासिक फैसला

बता दें कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने 2014 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था. ट्रांसजेंडर्स को ‘थर्ड सेक्स’ का दर्जा दिया गया था. इसमें कहा गया कि नागरिकों के लिए संविधान में वर्णित मौलिक अधिकार थर्ड जेंडर पर भी लागू होते हैं. शीर्ष अदालत ने शिक्षा और रोजगार में तीसरे लिंग के लिए आरक्षण की भी मांग की. इसके बाद कर्नाटक सरकार ने पुलिस भर्ती में थर्ड जेंडर के लिए आरक्षण की शुरुआत की.

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