वाराणसी के चौराहों का ट्रैफिक कमान संभालने वाले TRB के जवानों को लगी PM नरेंद्र मोदी से आस

मात्र 200 रुपए प्रतिदिन के वेतन पर काम करके वाराणसी नगरी की यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में अहम योगदान देने वाले 34 ट्रैफिक ब्रिगेड (टीआरबी/TRB) के जवान बिना किसी सूचना के नौकरी से निकाल दिए गए हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | November 1, 2021 2:48 PM

Varanasi News : मात्र 200 रुपए प्रतिदिन के वेतन पर काम करके वाराणसी नगरी की यातायात व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में अहम योगदान देने वाले 34 ट्रैफिक ब्रिगेड (टीआरबी/TRB) के जवान बिना किसी सूचना के नौकरी से निकाल दिए गए हैं. वादे तो इनसे बहुत किए गए थे मगर उसको हकीकत में कोई नहीं ला सका. एक जवान तो कुछ माह पहले आत्महत्या तक कर चुका है.

जानकारी के मुताबिक, वाराणसी यातायात पुलिस और वाराणसी विकास समिति के सहयोग से प्रशिक्षण प्राप्त करके शहर के चौराहों और तिराहों पर ड्यूटी करने वाले ये टीआरबी के जवानों को बिना सूचना के ड्यूटी से हटा दिया गया है. पिछले कई दिनों से आर्थिक तंगी से परेशान होकर एक टीआरबी के जवान ने हुकूलगंज में फांसी भी लगा ली थी. अब इन जवानों ने अपनी स्थिति से परेशान होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी पद पर संविदा या स्थायी नियुक्ति देने की मांग की है.

टीआरबी के जवानों ने पीएम को खत लिखकर अपना समायोजन होमगार्ड, काशी विश्वनाथ न्यास अथवा उत्तर प्रदेश शासन के अधीन सरकारी, अर्द्धसरकारी, तृतीय, चतुर्थ श्रेणी पद पर स्थायी अथवा संविदा कर्मचारी के रुप में करने की मांग की है. टीआरबी के जवानों ने बताया कि हमें बिना किसी सूचना के निकाले जाने के बाद उनका एक साथी 8 माह पहले आर्थिक तंगी से परेशान होकर हुकुलगंज में फांसी लगाकर आत्महत्या कर चुका है.

इनकी नियुक्ति नवंबर 2015 में पुलिस अधीक्षक यातायात वाराणसी और वाराणसी विकास समिति के सहयोग से हुयी थी. जिसके बाद टीआरबी के जवानों को यातायात व्यवस्था को ठीक रखने के लिए उनकी सेवा निःशुल्क रूप से वाराणसी शहर के तिराहा, चौराहा एवं फैण्टम ड्यूटी में ली जा रही थी. इन्हें प्रतिदिन महज 200 रुपया भत्ते के रूप में दिया जाता था. उन्हें 31 अगस्त 2018 को बिना किसी सूचना के हटा दिया गया था. वे अब साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी मांग को लेकर एक बार फिर सभी से आस लगाए हुए हैं.

रिपोर्ट : विपिन सिंह, वाराणसी

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