धनबाद के तिलैया पंचायत के आदिवासी परिवारों का हाल, आवास और पेंशन के लिए 15 वर्ष से चक्कर काट रहीं विधवा
पांच वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए चक्कर लगा रही हैं. मिट्टी का खपरैल मकान है बरसात में टपकता है. मजदूरी कर बाल, बच्चे का भरण-पोषण करती हैं. कई बार आवेदन दिया, लेकिन आजतक आवास और शेड नहीं मिला.
बरवाअड्डा, हीरालाल पांडेय : गोविंदपुर प्रखंड मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर तिलैया पंचायत के आदिवासी बहुल गांव झिलुवा व मनैयडीह आज भी सुविधाओं से बहुत दूर है. झिलुवा गांव में करीब 30 आदिवासी परिवार के लोग रहते हैं. सभी मजदूरी कर अपना व अपने परिवार का भरण-पोषण करते है. कुछ ऐसी ही स्थिति मनैयडीह गांव की भी है. यहां के दलित परिवार के लोगों को अब तक प्रधानमंत्री आवास समेत अन्य योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. यहां के लोग आवास, पेंशन व मनरेगा योजना से पशु शेड के लिए परेशान हैं.
आवेदन देकर थक चुके हैं ग्रामीण
झिलुवा के वीरुलाल टुडू चरवाहा हैं. गांव के मवेशियों को चराने का काम करते हैं. मिट्टी के मकान में रहते हैं. अब तक उनको सिर्फ आश्वासन मिला, लेकिन आजतक आवास योजना का लाभ नहीं मिला. पशु शेड भी नहीं मिला है. सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में बीडीओ को लिखित आवेदन दिया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. कुछ ऐसी ही स्थिति झिलुवा की मंजू देवी का है. वह भी तीन वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना व गाय व बकरी शेड के लिए मुखिया व बीडीओ कार्यालय का चक्कर लगा रही हैं. मनैयडीह गांव की कौशल्या देवी दलित परिवार से हैं. पांच वर्षों से प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए चक्कर लगा रही हैं. मिट्टी का खपरैल मकान है बरसात में टपकता है. मजदूरी कर बाल, बच्चे का भरण-पोषण करती हैं. कई बार आवेदन दिया, लेकिन आजतक आवास और शेड नहीं मिला.
कहते हैं मुखिया : पोर्टल बंद है, क्या करें
तिलैया पंचायत के मुखिया सुधीर महतो ने बताया कि झिलुवा के कई आदिवासी परिवार का प्रधानमंत्री आवास के वेटिंग लिस्ट में नाम नहीं है. राज्य सरकार द्वारा केंद्र सरकार के पिछले वित्तीय वर्ष का हिसाब नहीं देने के कारण केंद्र सरकार ने पीएम आवास का पैसा देना बंद कर दिया है. अभी वेटिंग लिस्ट में नाम नहीं चढ रहा है. इस कारण उनके पंचायत में लगभग डेढ़ सौ एसी, एसटी लाभुकों को पीएम आवास नहीं मिल पा रहा है. पीए आवास का पोर्टल बंद है.
कहते हैं बीडीओ : मुखिया भेज सकते हैं नाम
बीडीओ संतोष कुमार ने बताया कि पीएम आवास योजना का पोर्टल फिलहाल बंद है. इस कारण छूटे हुए लाभुकों का नाम नहीं जुड़ पा रहा है. बहुत अधिक जरूरत मंद कोई लाभुक है, तो ग्राम सभा के माध्यम से उस लाभुक का नाम मुखिया भेज सकते हैं. विधवा व दिव्यांग पेंशन के लाभुकों की पूरी जानकारी लेकर पेंशन स्वीकृति दिलाने का प्रयास करेंगे.
दातून बेच पेट पाल रहीं हीरामणि देवी
झिलुवा की हीरामणि देवी लगभग 65 वर्ष की हैं. 15 वर्ष पहले पति बड़ा ठाकुर मांझी का बीमारी से देहांत हो गया था. एक बेटा है, पर वह दिव्यांग है. मिट्टी का घर पिछले वर्ष बारिश में गिर गया. वह दतुअन बेचकर कुछ रुपये जमा किये. उन्हीं पैसों से भाड़ा देकर कर घर से 30 किलोमीटर दूर प्रखंड कार्यालय कई बार गयीं, लेकिन आजतक उनके पति का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं बना. विधवा पेंशन के लिए पंद्रह वर्षों से लगातार कोशिश कर रही हैं. बड़े लोगों का सब काम होता है. वो लोग गरीब हैं, उनका कोई नहीं है. अब तो वो थक गयी हैं.
एक हाथ नहीं है दीपक का
तिलैया पंचायत के झिलुवा गांव का 45 वर्षीय दीपक किस्कू दिव्यांग है. वर्ष 2019 में एक दुर्घटना में उनका बांया हाथ कट गया. दीपक का मिट्टी का खपरैल घर है. दिव्यांग पेंशन व प्रधानमंत्री आवास के लिए वर्ष 2019 से वह पंचायत व गोविंदपुर स्थित प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन आजतक ना तो पेंशन मिला और ना हीं आवास योजना का लाभ. दीपक किस्कू का कहना है कि मुखिया से लेकर बीडीओ तक उन्होंने गुहार लगायी. सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भी आवेदन दिया, लेकिन कोई लाभ नहीं मिला.
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पांच वर्ष से गुहार लगा रहीं गोरवी देवी
झिलुवा की गोरवी देवी का मिट्टी का खपरैल का पूरा घर गिर गया है. पांच वर्ष पूर्व ही मुखिया व वार्ड सदस्य को घर गिर जाने से हो रही परेशानी से अवगत कराया. सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में बीडीओ से भी गुहार लगायी, लेकिन आवास योजना का लाभ नहीं मिला. हम लोग गरीब हैं. पढ़े-लिखे नहीं हैं. बार-बार कहने जाते हैं तो पैसे भी खर्च होते हैं, पर कोई सुनता नहीं है. अब जैसे-तैसे जिंदगी काट रहे हैं.