मालदाः पश्चिम बंगाल के मालदा जिला में एक अमानवीय दृश्य देखने को मिला. अधेड़ उम्र की आदिवासी महिला को खुले आसमान के नीचे एक पेड़ के तने से जंजीर की मदद से बांधकर रखा गया है. घटना पुराने मालदा थाना अंतर्गत भाबुक ग्राम पंचायत के कुतुबपुर गांव की है. बुधवार को दोपहर में कुछ ग्रामीणों ने जंजीर में जकड़ी महिला को देखा, तो इसकी सूचना पुलिस को दी.
पुलिस ने मौके पर जाकर आदिवासी महिला को बेड़ियों से मुक्त कराया. महिला के परिवार के लोगों का दावा है कि उसकी मानसिक दशा ठीक नहीं है. किसी पर भी ईंट-पत्थर से हमला कर दे रही है. इसलिए पड़ोसियों के प्रकोप से बचने के लिए उसे जंजीरों में जकड़ना पड़ा. परिवार के सदस्यों ने कहा कि डॉक्टर को दिखाने में काफी पैसे खर्च होंगे. इतने पैसे उनके पास नहीं हैं. इसलिए यही विकल्प उन्हें उचित लगा.
पुलिस और स्थानीय सूत्रों ने बताया है कि आदिवासी महिला का नाम सूजी मुर्मू (38) है. उनके दो नाबालिग बेटे शिव टुडू और बेटी पार्वती टुडू हैं. महिला का पति नंदा टुडू बीमार पड़ गया और कुछ साल पहले उसकी मौत हो गयी. तब से सूजी अपने भाई अमीन मुर्मू के घर रह रही है. सूजी को चार महीने पहले अचानक मानसिक रूप से बीमार पड़ गयी.
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स्थानीय सूत्रों ने बताया कि अधेड़ उम्र की इस आदिवासी महिला को घर के पिछवाड़े में एक पेड़ के तने से बांध दिया गया था. जब वह रात में सो रही थी, तब भी उसके पैर जंजीर से बंधे थे. घटना की जानकारी मिलने के बाद बुधवार दोपहर में ग्राम पंचायत सदस्य व पुराने मालदा थाना की पुलिस ने आदिवासी परिवार से मुलाकात की.
पुलिस पदाधिकारी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने परिवार के सदस्यों से इस बारे में पूरी जानकारी ली कि किस वजह से सूजी को जंजीरों में जकड़कर रखा गया था. पुलिस ने महिला को बंधन से मुक्त कर दिया, लेकिन उसके इलाज की व्यवस्था अब तक नहीं हुई है. सूजी की बहन आरती मुर्मू ने बताया कि उसकी बड़ी बहन की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है. हालांकि, पुलिस ने कहा है कि सूजी को अस्पताल ले जाया गया है.
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आरती ने बताया कि पेड़ों पर फल लगे हैं. सूजी जहां-तहां ईंट-पत्थर फेंकती है. किसी के फल को नुकसान पहुंचने या किसी व्यक्ति को पत्थर से चोट लगने पर पड़ोसियों से उसका झगड़ा हो सकता है. किसी अनहोनी की आशंका में ही परिवार के लोगों ने उसे जंजीर से बांध दिया था.
आरती मुर्मू ने बताया कि उसकी बहन सूजी मुर्मू का इलाज कराने की काफी कोशिश की गयी. जमीन गिरवी रखकर उसका इलाज कराया गया. डॉक्टरों ने कहा कि वह धीरे-धीरे ठीक हो जायेगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उसकी मानसिक दशा की वजह से किसी को परेशानी न हो, इसलिए उसे बांधा गया था. उस पर परिवार के लोग कोई अत्याचार नहीं कर रहे.
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भाबुक ग्राम पंचायत के पंचायत सदस्य जेठू किस्कू ने कहा, मुझे इस मामले की जानकारी नहीं थी. परिवार बहुत गरीब है. परिवार की एक महिला को कैद कर रखा गया था. मामले की जानकारी मिलने के बाद मैं उनके परिवार से मिला. उन्हें बताया कि राज्य सरकार ने मानसिक रूप से बीमार लोगों के इलाज की व्यवस्था मालदा मेडिकल कॉलेज में की है. सूजी को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराने में पंचायत के लोग मदद करेंगे.
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Posted By: Mithilesh Jha