देवघर : आर्थिक तंगी की वजह से इलाज नहीं कराने पर आदिवासी युवक की मौत, तीन दिनों तक घर में नहीं जला चूल्हा
पंसस रघुनंदन सिंह ने बताया कि मृत युवक जीतन का पूरा परिवार मजदूरी कर जीवन यापन करता है. जीतन की मौत के कारण तीन दिनों से परिवार का कोई सदस्य मजदूरी करने नहीं गया और खाने की समस्या पैदा हो गयी.
देवघर : सारठ प्रखंड क्षेत्र के पड़रिया गांव का संथाल टोला विकास की रोशनी से कोसों दूर है. सात-आठ घरों का यह टोला शिमला पंचायत के पड़रिया गांव में स्थित है. गुरुवार को इस टोले के जीतन हेम्ब्रम की मौत लिवर जॉन्डिस की बीमारी से पीड़ित होने के कारण हो गयी. 78 वर्षीय गुड्डू हेम्ब्रम के बेटे की मौत के बाद परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है. छह फरवरी को जीतन को मौत हुई थी. परिजनों ने बताया कि पिछले डेढ़ माह पूर्व जीतन को सिर दर्द की शिकायत हुई थी, जिसके बाद झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराया. वहीं जीतन के ठीक नहीं होने पर एक निजी क्लिनिक के संचालक ने बाहर ले जाने की सलाह दी. बताया कि जीतन का पूरा परिवार ईंट भट्ठों में मजदूरी का काम करता है. परिजनों के मुताबिक जितने पैसे मिलते है उससे किसी तरह गुजारा होता है. ऐसे में पैसे के आर्थिक अभाव में जीतन का इलाज नहीं करा पाने की वजह से उसकी मौत हो गयी. वहीं परिजनों ने बताया कि जीतन की मौत के बाद घर में खाने-पीने का सामान नहीं होने पर घर में चूल्हा भी नहीं जला, विदित हो कि गुड्डू हेम्ब्रम के नाम से राशन कार्ड है, जिसमें जीतन का नाम है पर जीतन के दो बच्चे और पत्नी का नाम नहीं जुड़ा है. जंगल भूमि पर रहने के कारण खतियान भी नहीं है. गांव में रहने वाले इन 7-8 परिवारों के पास जाति प्रमाण पत्र भी नहीं है. वहीं गुड्डू हेम्ब्रम परिवार की दुःख की घड़ी में पंसस रघुनंदन सिंह ने पहुंच कर तत्काल 15 किलो चावल उपलब्ध कराया है, जिसके बाद उसके घर में चूल्हा जला.
क्या कहते है पंसस
पंसस रघुनंदन सिंह ने बताया कि मृत युवक जीतन का पूरा परिवार मजदूरी कर जीवन यापन करता है. जीतन की मौत के कारण तीन दिनों से परिवार का कोई सदस्य मजदूरी करने नहीं गया और खाने की समस्या पैदा हो गयी, जिसके बाद 15 किलो चावल उपलब्ध कराया है, साथ ही मृतका की विधवा सोनामुनी मुर्मू को पेंशन व पारिवारिक लाभ जल्द दिलाया जायेगा.
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