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धार्मिक पूजा के अधिकार की मांग को लेकर सड़क पर उतरे आदिवासी, हावड़ा ब्रिज बंद, कोलकाता में लगा जाम

पश्चिम बंगाल में आदिवासियों का आंदोलन जारी है. कुर्मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने समेत कई मांगों को आंदोलन चला रहे हैं. वहीं पश्चिम मेदनीपुर के आदिवासी संगठन आदिवासी धार्मिक पूजा के अपने अधिकार की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 23, 2022 1:40 PM
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पश्चिम बंगाल में आदिवासियों का आंदोलन (tribal movement) की वजह से सुबह कोलकाता थम सा गया. जगह जगह पर गाड़ियों की कतारें नजर आने लगी. वहीं जब आदिवासियों की रैली हावड़ा ब्रिज (Howrah Bridge) से निकली तो इस दौरान पूरे हावड़ा ब्रिज पर जाम लग गया. उनका आंदोलन हावड़ा से होते हुए पूरे कोलकाता में शुरु हो गया. एमजी रोड, सेंट्रल एवेन्यू , नॉर्थ कोलकाता की ओर बेंटिक स्ट्रीट, गणेशचंद्र एवेन्यू, धर्मतला लगभग पूरा सेंट्रल कोलकाता में आदिवासियों की रैली जारी है. ऐसे में पूरे कोलकाता की ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई. कार्यलय तक लोगों का पहुंचना मश्किल हो गया.

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धार्मिक स्थल को तोड़े जाने के विरोध में निकाली गई रैली 

पश्चिम मेदनीपुर ( Paschim Medinipur) के आदिवासी संगठन भारत जकात मांझी परगना महल के नेतृत्व में ये आदिवासी धार्मिक पूजा के अपने अधिकार की मांग को लेकर सड़कों पर उतर आए हैं. पुरुलिया की अयोध्या हिल उनके देवता मारनबुरु की पूजा का स्थान है. आरोप है कि वहां के धार्मिक स्थल को तोड़कर निर्माण कार्य कराया जा रहा है. जिसके विरोध में शुक्रवार की सुबह आदिवासी हावड़ा से आदिवासियों ने अपनी रैली शुरु कर दी. यह रैली रानी रासमोनी रोड पर जाकर समाप्त हुई .

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पिछले 75 घंटे से बंद है रेल या परिवहन यातायात

पश्चिम बंगाल के पुरुलिया और झारग्राम में कुर्मियों के आंदोलन का आज चौथा दिन है. कुर्मी समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने समेत कई मांगों को लेकर झाड़ग्राम, पश्चिम मेदिनीपुर और पुरुलिया में आंदोलन चल रहे हैं. रेल और सड़क जाम भी जारी है. जाम की वजह से यात्रियों को काफी परेशानी हो रही है. कुर्मी आंदोलन के मद्देनजर हजारों ट्रक, कार्गो लॉरी और कई वाहन राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 6 पर खड़े हैं और उस गाड़ी का सारा कच्चा माल, सब्जियां और फल बर्बाद हो रहे हैं. करोड़ों रुपये का सामान बर्बाद हो रहा है. चौथे दिन रेल और सड़क जाम लगा हौ. लगातार 75 घंटे बीतने के बावजूद अभी तक नाकाबंदी हटाने की कोई पहल नहीं हुई है. ऐसे में आम लोगों की मश्किलें बढ़ सकती है.

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