तृणमूल का आरोप : राज्यपाल अधिकार क्षेत्र का कर रहे हैं उल्लंघन, चुनाव आयोग को पत्र लिख की शिकायत
पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ ही तृणमूल और राज्यपाल के बीच जुबानी जंग जारी है. ऐसे में राज्यपाल के हिंसा वाले इलाकों के दौरे पर आपत्ति जताते हुए राज्य चुनाव आयोग को चिट्ठी भेजी है.
पश्चिम बंगाल में तृणमूल सरकार और राज्यपाल सीवी आनंद बोस के बीच पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ ही जुबानी जंघ शुरु हो गया है. गौरतलब है कि राज्यपाल सीवी आनंद बोस का हिंसा वाले इलाकों का दौरा कर रहे हैं. जिससे ऐसा माना जा रहा है कि तृणमूल को परेशानी होती नजर आ रही है. ऐसे में राज्यपाल के ‘ग्राउंड जीरो मोड’ पर कार्य करने पर तृणमूल सरकार ने कटाक्ष करते हुए राज्य चुनाव आयोग को तीन पन्नों का एक पत्र लिखा, जिसमें राज्यपाल सीवी आनंद बोस के उन क्षेत्रों के दौरे के खिलाफ शिकायत की गई, जहां 8 जुलाई के मतदान से पहले हिंसा की सूचना मिली थी . इसमें उन्होंने सीधा राज्यपाल की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं.
तृणमूल ने राज्यपाल पर लगाये है ये आरोप
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तृणमूल का आरोप है कि राज्यफाल राज्य की सुविधाओं का इस्तेमाल कर भाजपा समर्थकों के सााथ बैठक कर रहे है और वह ऐसे चुनावी प्रकिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं.
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तृणमूल सांसद सौगत राय का कहना है कि राज्यपाल कानून व्यवस्था के ऊपर हैं. राज्यपाल जिस तरह से यूनिवर्सिटी को लेकर हस्तक्षेप कर रहे हैं वो भी गलत है. हम उनकी निंदा करते हैं.
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पश्चिम बंगाल के डीजीपी ने जब कह दिया कि बंगाल में बड़ी हिंसा कि खबर नहीं तो फिर राज्यपाल किन हिंसा वाले इलाकों का दौरा कर रहे हैं.
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तृणमूल का आरोप है कि राज्यपाल ने चुनाव प्रक्रिया की निगरानी के लिए राजभवन में कंट्रोल रुम खोल कर रखा है और ऐसा कर राज्यपाल चुनावी प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे हैं.
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विपक्षी दलों ने तृणमूल पर किया पलटवार
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तृणमूल के इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि राज्यपाल इस राज्य के संवैधानिक प्रमुख हैं . इसलिए, वह राज्य में लोकतंत्र बनाए रखने के लिए कुछ भी कर सकते हैं. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा कि लोकतांत्रिक राज्य में राज्यपाल कहीं भी जा सकते हैं. टीएमसी उनकी आलोचना कर रही है क्योंकि उसे अब हार का डर है.