Year Ender 2022: घोटाले की वजह से हुई तृणमूल की फजीहत, केंद्रीय एजेंसियों ने बड़े नेता-अफसरों को भेजा जेल

Year Ender 2022 West Bengal: सरकारी स्कूलों में शिक्षाकों व ग्रुप-डी व ग्रुप-सी पदों की नियुक्तियों में अनियमितता की जांच का जिम्मा कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश पर उन्हें मिला. इस घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा शुरू किये जाने के बाद से ही सत्तारूढ़ तृणमूल की मुश्किलें जैसे बढ़ने लगीं.

By Prabhat Khabar News Desk | December 26, 2022 5:36 PM

पश्चिम बंगाल में करोड़ों रुपये के चिटफंड घोटाले, वर्ष 2021 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा (हत्या, दुष्कर्म व दुष्कर्म की कोशिश), मवेशियों व कोयला तस्करी की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियां प्रवर्तन निदेशालय (इडी) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) पहले से ही कर रही हैं, लेकिन इस वर्ष यानी 2022 में यहां सरकारी स्कूलों में नियुक्तियों में हुई धांधली की जांच का जिम्मा भी उन्होंने संभाला.

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों व ग्रुप-डी व ग्रुप-सी पदों की नियुक्तियों में हुई अनियमितता की जांच करने का जिम्मा कलकत्ता हाइकोर्ट के निर्देश पर उन्हें मिला. इस घोटाले की जांच केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा शुरू किये जाने के बाद से ही सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें जैसे बढ़ने लगीं. मामले को लेकर भाजपा समेत तमाम विपक्षी दलों द्वारा तृणमूल कांग्रेस पर निशाना साधने का सिलसिला सालभर जारी रहा.

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राजनीति के पंडितों का मानना है कि पार्थ और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी की गिरफ्तारी से तृणमूल को कड़ा झटका मिला. इस मामले ने इसलिए भी तूल पकड़ा, क्योंकि अर्पिता के ठिकानों से करीब 50 करोड़ रुपये नकद व करोड़ों के गहने इडी ने जब्त किये. यदि ऐसा नहीं होता, तो उनकी गिरफ्तारी के बाद ही पार्थ को मंत्री पद से हटाने के साथ ही उन्हें पार्टी से भी सस्पेंड नहीं किया जाता.

इतना ही नहीं, तृणमूल ने एक तरह से पार्थ से किनारा भी कर लिया. अदालत में पेशी के दौरान पार्थ ने यह भी कहा था कि वह अपनी पार्टी के साथ हैं, लेकिन तृणमूल ने उनके बयान को नजरअंदाज कर दिया. इसी घोटाले की जांच मे पलाशीपाड़ा के विधायक व तृणमूल नेता माणिक भट्टाचार्य और सरकारी अफसरों की गिरफ्तारी ने सत्तारूढ़ की मुश्किलें एक तरह से बढ़ाने का ही काम किया.

इसी बीच, बीरभूम में तृणणूल के काफी प्रभावशाली नेता माने जाने वाले अनुब्रत मंडल को सीबीआई ने इसी साल गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद इडी ने भी उन्हें आसनसोल संशोधनागार में भी शोन अरेस्ट किया. इस साल इडी मंडल के पूर्व अंगरक्षक व मवेशी तस्करी में गिरफ्तार सैगल हुसैन की तरह ही उन्हें को अपनी हिरासत नयी दिल्ली ले जाने की कोशिश में लगी रही, लेकिन हत्या की कोशिश के आरोप में अनुब्रत को पुलिस हिरासत में रहने के कारण यह कदम फिलहाल अगले साल यानी 9 जनवरी 2023 तक टल गया है.

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कुछ प्रमुख घटनाक्रम

  • अर्पिता की गिरफ्तारी के बाद ही स्कूलों में हुईं अवैध नियुक्तियों के मामले में 23 जुलाई को इडी ने पार्थ चटर्जी को भी गिरफ्तार कर लिया. पार्थ चटर्जी 20 मई, 2014 से 10 मई, 2021 तक राज्य के शिक्षा मंत्री रहे हैं. इसके बाद 10 मई, 2021 से इस साल 28, जुलाई तक वह उद्योग मंत्री रहे. इडी ने उन्हें इस घोटाले में धोखाधड़ी, अवैध तरीके से हुईं नियुक्तियों के घोटाले में प्रमुख आरोपियों में से एक बताया है.

  • घोटाले की जांच की आंच सिर्फ नेताओं तक ही नहीं, बल्कि सरकारी मुलाजिमों पर भी पड़ा. वर्ष 2011 से 2014 तक वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के सचिव रहने वाले एसपी सिन्हा को अगस्त में सीबीआई ने गिरफ्तार किया. वह वर्ष 2019 से 21 तक एसएससी नियुक्ति सलाहकार समिति के संयोजक भी थे. रहे हैं. उनकी भूमिका कक्षा नौवीं और 10वीं के लिए अवैध तरीके से सहायक शिक्षकों की हुईं नियुक्तियों में होने के आरोप हैं. साथ ही राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रुप सी के पदों पर हुईं अवैध नियुक्तियों में भी इनकी भूमिका रही है. इनपर भी धोखाधड़ी और प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट, 2018 के तहत मामला दर्ज किया गया है.

  • सीबीआई ने आठ अगस्त को एसएससी के पूर्व चेयरमैन रह चुके अशोक साहा को गिरफ्तार किया. इन पर भी राज्य के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में ग्रुप सी के पदों पर अवैध नियुक्ति के घोटाले में शामिल होने का आरोप है.

  • नाॅर्थ बंगाल यूनिवर्सिटी के पूर्व चेयरमैन रह चुके सुबीरेश भट्टाचार्य भी 19 सितंबर को सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किये गये. वह 2014 से 2018 तक वह एसएससी के चेयरमैन रह चुके हैं. कक्षा नौवीं व 10वीं के लिए सहायक शिक्षकों की अवैध नियुक्तियों के घोटाले में उनकी भूमिका होने के आरोप लगे हैं.

  • पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी का रिश्तेदार प्रसन्न राय पर घोटाले में बिचौलिए की भूमिका अदा करने का आरोप है. उसे सीबीआई ने सितंबर में गिरफ्तार किया. उसपर शेल कंपनियों के जरिये घोटाले से प्राप्त कालाधन सफेद करने का भी आरोप है.

  • सीबीआई ने प्रदीप सिंह को भी सितंबर में गिरफ्तार किया. यह प्रसन्न का कर्मचारी है, जिसपर घूस देने वाले अभ्यर्थियों की सूची बनाने और रकम एक से दूसरे स्थान पर पहुंचाने का आरोप है.

भादू शेख की हत्या के बाद हुई हिंसा में 10 लोग मारे गये

बीरभूम के रामपुरहाट थाना क्षेत्र के बड़शाल ग्राम पंचायत क्षेत्र के बागटुई गांव में 21 मार्च को स्थानीय तृणमूल नेता भादू शेख की हत्या के बाद उक्त गांव में आगजनी व हिंसा की घटना हुई, जिसमें 10 लोगों की मौत हुई. दो ही मामलों की जांच सीबीआई ने अपने जिम्मे लिया. बागटुई हिंसा में सीबीआई की गिरफ्त में 24 लोग आये.12 दिसंबर को हिंसक घटना के मुख्य आरोपियों में से एक लालन शेख की सीबीआई हिरासत में अस्वाभाविक मौत हो गयी.

साल भर निशाने पर रही तृणमूल कांग्रेस

पार्थ चटर्जी

जांच के शुरुआती दौर में ही राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री व तृणमूल के पूर्व प्रदेश महासचिव पार्थ चटर्जी की गिरफ्तारी के बाद सत्तारूढ़ दल के अन्य नेता भी केंद्रीय जांच एजेंसी के दायरे में आ गये. उनके बाद ही सत्तारूढ़ के कई बड़े नेता भी सलाखों के पीछे आ गये.

अर्पिता मुखर्जी

22 जुलाई राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की काफी करीबी बतायी जाने वाली अर्पिता मुखर्जी के ठिकानों से करीब 50 करोड़ रुपये (49.8 करोड़ रुपये) की राशि और करोड़ों के गहने बरामद हुए थे, जिसके बाद मामले ने तूल पकड़ लिया. इसके बाद ही अर्पिता को उसी दिन इडी ने पीएमएलए के तहत मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया. वह फिलहाल अलीपुर महिला केंद्रीय संशोधनागार में न्यायिक हिरासत की अवधि काट रही हैं. उनपर पीएमएलए के तहत मामला दर्ज किया गया है. उनपर आरोप है कि वह घोटाले से प्राप्त रुपये की लाभार्थी रही हैं व उनकी शेल कंपनियों के जरिये घोटाले की रकम दूसरी जगह स्थानांतरित की गयी.

मणिक भट्टाचार्य

तृणमूल कांग्रेस को एक और झटका लगा. प्राथमिक शिक्षा परिषद के पूर्व अध्यक्ष, पलाशीपाड़ा के विधायक व तृणमूल नेता माणिक भट्टाचार्य को इडी ने अक्तूबर को गिरफ्तार कर लिया. उन पर राज्य के प्राथमिक स्कूलों में अवैध नियुक्तियों के घोटाले में प्रमुख आरोपियों में से एक माना जा रहा है. उन पर आरोप कि है टेट, 2014 में अवैध तरीके मेरिट लिस्ट में असफल अभ्यर्थियों की उन्होंने नियुक्ति करवायी.

अनुब्रत मंडल

पशु तस्करी मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने 11 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस के नेता अनुब्रत मंडल को गिरफ्तार किया. उसके बाद ही नवंबर में इडी ने भी सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस के प्रभावशाली नेता अनुब्रत मंडल को गिरफ्तार (शोन अरेस्ट) कर लिया. फिलहाल वह हत्या की कोशिश के आरोप में दुबराजपुर पुलिस की हिरासत में हैं. उनपर मवेशियों की तस्करी मामले में लाभार्थी होने का आरोप है.

कल्याणमय गांगुली

वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन के पूर्व अध्यक्ष रहे कल्याणमय गांगुली पर भी गाज गिरी और 15 सितंबर को सीबीआई ने उन्हें अपनी गिरफ्त में ले लिया. इनपर राज्य के सरकारी स्कूलों में ग्रुप सी के पदों पर अवैध नियुक्तियों के घोटाले में शामिल होने का आरोप है.

इडी ने भी शुरू की घोटाले के धनशोधन पक्ष की जांच

इसी वर्ष कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने राज्य के सरकारी स्कूलों शिक्षकों, ग्रुप-डी व ग्रुप-सी पदों में हुईं नियुक्तियों के घोटाले की जांच शुरू की. सीबीआई द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी के आधार पर इडी ने भी घोटाले के धनशोधन पक्ष की जांच शुरू की है. सीबीआई द्वारा दर्ज की गयी प्राथमिकी में पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष कल्याणमय गांगुली के अलावा एसएससी की नियुक्ति समिति के पूर्व सलाहकार डॉ शांति प्रसाद सिन्हा के अलावा एसएससी नियुक्ति समिति के पूर्व सदस्य व एसएससी के तत्कालीन प्रोग्रामिंग ऑफिसर समरजीत आचार्य, एसएससी के पूर्व अध्यक्ष प्रो सौमित्र सरकार व एसएससी के पूर्व सचिव अशोक कुमार साहा के नाम भी शामिल हैं. उनके खिलाफ भारतीय दंड विधान की धाराओं 120(बी), 417, 465 व 34 प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट (एमेंडमेंट), 2018 की धारा सात के तहत मामला दर्ज किया गया.

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