कोलकाता : भवानीपुर विधानसभा केंद्र को मिनी भारत भी कहा जाता है. यहां न केवल बंगला बोलने और समझने वाले लोग रहते हैं, बल्कि भारी संख्या में गैर-बांग्लाभाषी भी हैं. विधानसभा चुनाव में यह सीट बेहद मायने रखती है, क्योंकि तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी लगातार दो बार यहां से निर्वाचित हुई हैं.
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बार नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की इच्छा जतायी है. उन्होंने कहा है कि भवानीपुर में वह किसी बेहतर उम्मीदवार को उतारेंगी. देखना यह है कि ममता सिर्फ नंदीग्राम से लड़ती हैं या पूर्व भी मेदिनीपुर के नंदीग्राम के साथ-साथ भवानीपुर से भी.
वर्ष 2011 में तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर सुब्रत बक्शी ने भवानीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्हें कुल 87,903 मत मिले, जो कुल मत का 64.7 फीसदी होता है. उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी माकपा के नारायण जैन को 27.97 फीसदी वोट मिले थे.
तृणमूल कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिली भारी जीत के बाद ममता बनर्जी के चुनाव लड़ने के लिए सुब्रत बक्शी ने अपनी सीट खाली कर दी. ममता बनर्जी उपचुनाव में बतौर तृणमूल उम्मीदवार उतरीं. उपचुनाव में उन्हें 73,635 वोट मिले. यह कुल वोटों का 77.46 फीसदी था.
दूसरे स्थान पर माकपा उम्मीदवार नंदिनी मुखर्जी रहीं थीं. उन्हें 19,422 वोट मिले. यानी कुल वोट शेयर का 20.43 फीसदी. वर्ष 2016 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें, तो ममता बनर्जी को 65,520 वोट मिले, लेकिन उन्हें मिलने वाला वोट प्रतिशत 29.79 फीसदी घट कर 47.67 फीसदी रह गया.
कांग्रेस की दीपा दासमुंशी को 29.26 फीसदी वोट यानी कुल 40,219 वोट मिले थे. भाजपा के चंद्र कुमार बोस को 19.13 फीसदी वोट यानी कुल 26,299 वोट मिले थे.
वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें, तो भाजपा ने इस क्षेत्र में बढ़त बना ली थी. भाजपा उम्मीदवार तथागत राय को भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र से 47,465 वोट मिले, जबकि तृणमूल उम्मीदवार सुब्रत बक्शी को 47,280. मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र से भाजपा को बढ़त मिली थी.
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव पर नजर डालें, तृणमूल के वोटों में लगातार कमी आती रही. भाजपा आहिस्ता-आहिस्ता अपनी स्थिति मजबूत करती दिखी. तृणमूल उम्मीदवार माला राय को लोकसभा चुनाव में भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में बढ़त मिली, लेकिन इसका अंतर कम हो चुका था. उन्हें 61,137 वोट मिले, जबकि भाजपा उम्मीदवार चंद्र कुमार बोस को 57,969 वोट मिले. यानी केवल 3,168 वोटों की बढ़त.
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इस क्षेत्र में बड़ी तादाद में गुजराती मतदाता भी रहते हैं. माना जा रहा है कि भाजपा की पकड़ इस सीट पर मजबूत हो रही है. भाजपा नेताओं ने नंदीग्राम से चुनाव लड़ने की मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद कटाक्ष करते हुए कहा था कि हार की डर से वह ऐसा कर रही हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस सीट पर कांटे की टक्कर होगी. बंगाल में मार्च-अप्रैल में चुनाव होने की संभावना है.
Posted By : Mithilesh Jha